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बेगमपुरा शहर वो शहर जहां कोई गम नहीं कोई खौफ नहीं: सुखदेव सिंह नामधारी

ईस्ट इंडिया टाइम्स ब्यूरो चीफ आमिर हुसैन

उत्तराखंड
बाजपुर/ उधमसिंह नगर: उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष स, सुखदेव सिंह नामधारी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा उत्तराखण्ड प्रान्त में निवास करने वाले सभी लोग उत्तराखण्डी हैं।उत्तराखण्ड देवंभूमी है चार धाम है सनातन धर्म का पवित्र स्थान है। सिख धर्म का भी बहुत बडा इतिहास जुडा है। उत्तराखण्ड के साथ गुरु नानक देव जी आए छटे अंक गुरु हरगोविन्द साहिब जी आए रीठा साहिब जी नानक मता साहिब हेम कुण्ड साहिब, उत्तराखण्ड में है। उन्होंने कहा श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में भारत के विभिन्न प्रान्तों के भगत साहिबान की वाणी उन्हीं की अपनी भाषा बोली में दर्ज है जैसे -खडी बोली बृजभाषा, मराठी, में ही दर्ज है सिख धर्म के एहम सिद्धांत मानवता, अमन और शान्ति को यकीनी बनाने के लिए हर भाषा, संस्कृति खान-पान पहनावे को स्वीकार करना जरूरी है। गुरु ग्रन्थ साहिब जी में दर्ज शिरोमणि संत रविदास जी की बेगमपुरा वाणी में ये साफ निर्देश दिया है। कि वेगम पुरा शहर को नाओ के साथ जो हम शहरी सो मीत हमारा।यानी के बेगमपुरा शहर वो शहर जहां कोई गम नहीं कोई खौफ नहीं सभी लोगों में भाई बंधुत्व है प्रेम है। बेगमपुरा में रहने वाला हर व्यक्ति एक दूसरे का मित्र है। साथी है इसी तरह से उत्राखण्ड में रहने वाला हर व्यक्ति उत्तराखण्डी है। और हर उत्तराखण्डी एक दूसरे का साथी है मित्र है। धार्मिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के रक्षक हिंद की चादर सिख्कों के नौवें गुरु तेगबहादुर जी की वाणी भी वृजभाषा में गुरु ग्रन्थ साहिब में दर्ज है।वृजभाषा जो आगरा-मथुरा आदि जगहों में बोली जाती है। हिंन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है। हिन्दी के साथ-साथ गढ़वाल में गढ़वाली और कुमाऊं में कुमाउनी भाषा के विषय अनिवार्य किए जाएं इनके साथ अगर किसी ने और कोई भाषा जैसे पंजाबी व बंगाली सीखनी पडनी है वो वैकल्पिक हो जाएंगी हिन्दी मजबूत होने से राष्ट्र मजबूत होता है।साथ में कुमाऊंनी-गढवाली के साथ उत्तराखण्डी पहचान मजबूत होती है। उत्तराखण्डी पहचान मजबूत होने से पहाडी बनाम मैदानी का मुद्दा खत्म होगा। जिससे उत्तराखण्ड और मजबूत होगा। उत्तराखंड मजबूत होने से देश को राष्ट्र को और मजबूती मिलेगी।

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