मोहर्रम पर पुलिस प्रशासन के रहे कड़े इंतजाम, शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ मोहर्रम का जुलूस

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2024-07-19 | 03:45h
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2024-07-19 | 03:45h
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रिपोर्ट,वीरेंद्र तोमर बागपत।

इस्लामिक मोहर्रम माह की 10 तारीख को इमाम हुसैन की शहादत की याद में बागपत के विभिन्न जगहों से निकाले गए ताजिये,सुरक्षा की दृष्टि से तैनात का पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल रहा मौजूद। आज शिया समुदाय के लोगो के द्वारा काले कपड़े पहन कर हजरते इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजिये जुलूस निकाला गया,इस दौरान हजरते इमाम हुसैन के चाहने वालो को अपने आप को लहूलुहान कर अपने आप को तकलीफ देकर उनकी कुर्बानी को याद किया।जनपद के बरनावा सिंघावली बागपत बिनोली क्षेत्र से शिया समुदाय के लोगो के द्वारा ताजिये लेकर मातमी झुलुस निकाला गया,बरनावा में अंसारी चौक से यह मातमी झुलुस दाहा रोड से होते हुए काली नदी पर स्तिथ कर्बला के मैदान पर समाप्त हुआ जहां शिया समुदाय के लोगो के द्वारा ताजिए को सुपुर्द ए खाक कर दिया गया।आशूरा इस्लामिक इतिहास में शोक भरे दिनों में से एक होता है,यह एक प्रकार से मातम का दिन होता है,इस दिन हजरते इमाम हुसैन की याद में भारत समेत पूरी दुनिया मे शिया समुदाय के लोग मातमी जुलूस निकालते है,साथ ही उनके पैगाम को लोगो तक पहुँचाते है,हजरते इमाम हुसैन ने इस्लाम ओर मानवता की रक्षा लिए अपनी कुर्बानी दी थी,इसलिए इस दिन को आशूरा यानी मातम के दिन के रूप में मनाया जाता है,इस दिन उनको कुर्बानी को याद करते हुए ताजिया निकाले जाते है,हम आपको बता दे कि हजरते इमाम हुसैन पैगम्बर मोहम्मद साहब के नाती थे,जो कर्बला के मैदान में अपने साथियों के साथ शहीद हो गए थे,इराक में यजीद नाम का एक बादशाह था जो इंसानियत का दुश्मन था,यजीद को अल्लाह पर विश्वास नही था वह चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन भी उनके साथ शामिल हो जाए, हालांकि हजरत इमाम हुसैन को यह मंजूर नही था,उन्होंने बादशाह यजीद के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया,इस जंग में वह अपने बेटे घरवाले ओर अपने 72 साथियों के साथ कर्बला में शहीद हो गए थे।यही वजह है कि हर साल मोहर्रम की 10 तारीख को हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद किया जाता है।वही आज मोहर्रम के अंतर्गत सुरक्षा की दृष्टि के संबंध में सीओ सिटी बागपत हरीश भदौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि आज मोहर्रम की 10 तारीख को पूरे जनपद में जुलूस निकाले जा रहे है, और शहर का जो मुख्य जुलूस होता है वह अलग-अलग मोहल्लों से इकट्ठा होकर कर्बला के मैदान की तरफ जाते हैं सभी धर्म गुरुओं से लगातार वार्ता की जा रही थी जो परंपरागत रूट है उसी पर अभी मोहर्रम का जुलूस निकला है,इस जुलूस को लेकर पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है।

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