हरे-भरे पेड़ों पर चलती रही कुल्हाड़ी तो मानव जीवन के लिए पड़ेगा भारी।

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संवाददाता सुनील पासवान

हरे-भरे पेड़ों पर चलती रही कुल्हाड़ी तो मानव जीवन के लिए पड़ेगा भारी। - 1
हरे-भरे पेड़ों पर चलती रही कुल्हाड़ी तो मानव जीवन के लिए पड़ेगा भारी। - 2

बाराबंकी/जहांगीराबाद।
लकड़ी माफियाओं की दबंगई हरे पेड़ों पर चला रहे आरा वन विभाग बना अंजान।
ग्राम लालापुर,पिपरौली पोस्ट व थाना जहांगीराबाद व वहीं दूसरी तरफ ब्लॉक बंकी के आठवां गांव आम के कई पेड़ /भैयारा गांव वाजिदपुर बभौरा थाना जहांगीराबाद/ करमुल्लापुर ब्लॉक मसौली/ प्रतिबंधित पेड़ों की अवैध कटान का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। बात चाहे ग्रामीण क्षेत्र की हो या फिर जंगल की। लकड़ी माफिया वनकर्मियों की मिलीभगत से हरियाली मिटाने पर आमादा हैं। इसके बावजूद कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।जिलेभर में सालो साल सैकड़ों बीघा हरे-भरे आम के बाग, सड़क किनारे लगे पेड़-पौधे और वन विभाग के जंगल को उजाड़ दिया जा रहा है। जबकि, हर साल लगाए जाने वाले पौधे देखरेख के अभाव में सूख जाते हैं। शहर कस्बों के इर्द-गिर्द हरे-भरे पेड़ों को काटकर प्लाटिंग कर दी गई है। जिस कारण फिजा और पर्यावरण में जहर घुलता जा रहा है। ऐसे में जहां प्राणवायु यानी ऑक्सीजन की कमी होने लगी है, वहीं मौसम का चक्र भी पूरी तरह बिगड़ गया है। वायुमंडल में कार्बनडाइ ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। सांस लेना भी दुभर होता जा रहा है। बिगड़ते वायुमंडल के चलते सांस, संक्रमण जैसी गंभीर बीमारियां पैदा हो रही हैं। ऐसे में हम सभी को वृक्षों को सहेजने की तरफ बढ़ना होगा। इससे प्राणवायु का स्तर सुधारेगा और पर्यावरण भी बचाया जा सके। पेड़ों की लगातार कटाई होने की वजह से दिन प्रतिदिन वन क्षेत्र घटता जा रहा है। यह पर्यावरण की दृष्टि से बेहद चिंतनीय है। जीवन के लिए घातक है विभिगीय अधिकरियों की मिलीभगत से पेड़ों को काटाकर वृक्षों के संरक्षण के लिए बने नियम और कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इससे प्राकृतिक संरचना बिगड़ रही है। जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो रहा

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