संत कवि तुलसीदास जयंती पर संगोष्ठी, वक्ताओं ने रखे अपने अपने बिचार

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ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान
कायमगंज/फर्रुखाबाद
राष्ट्रीय प्रगतिशील फोरम द्वारा संत कवि तुलसीदास जी की जयंती पर कृष्णा प्रेस परिसर में आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने उन्हें विश्व साहित्य का महानतम कवि बताया ।
प्रोफेसर रामबाबू मिश्र रत्नेश ने कहा कि तुलसी का मानस अधर्म पर धर्म की विजय का गौरव गान है। सामाजिक समरसता का व्यावहारिक दर्शन है। ज्ञान भक्ति और कर्म की त्रिवेणी है। प्रधानाचार्य शिवकांत शुक्ला, वीएस तिवारी ,जेपी दुबे ,मनीष गौड़ ,शिवकुमार दुबे ने कहा कि श्रीराम विग्रह वान धर्म हैं। भारतीय वैदिक संस्कति के अमिट हस्ताक्षर हैं। गीतकार पवन बाथम ने कहा कि राष्ट्र धर्म संस्कृति को मिलता नहीं उजास ।मानस को रचते नहीं यदि कवि तुलसीदास। युवा कवि अनुपम मिश्रा ने कहा शाश्वत आदरणीय है ज्ञान प्रदीप्त विशुद्ध ।गहरे भावों से भरा मानस का हर शब्द। अध्यक्षता कर रहे पूर्व प्रधानाचार्य अहिवरन सिंह गौर ने कहा कि मानस को बिना समझे निंदा करने वाले बौद्धिक जड़ता से ग्रस्त हैं। लगता है आज हम विकास से विलास और विलास से विनाश की ओर बढ़ रहे हैं ।गोष्ठी में कुमारी अंशिका गुप्ता ,कु अनमोल कश्यप ,कुमारी जोया, कु. गोल्डी ,सौरभ चतुर्वेदी,स ाकेत कुमार आदि मौजूद रहे।

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