सिंचाई विभाग के पद समाप्त करने के आदेश के विरोध में कर्मचारियों का प्रदर्शन, मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन

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आजमगढ़।

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण पदों को “मृत घोषित” करने के शासनादेश के खिलाफ प्रदेश भर के कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। इसी क्रम में सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति, आजमगढ़ के प्रतिनिधियों ने आज जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर उक्त शासनादेश को वापस लेने की मांग की।

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क्या है मामला:
14 मई 2025 को शासन द्वारा एक आदेश जारी कर सिंचाई विभाग के कई महत्वपूर्ण पदों को अनुपयोगी घोषित कर उन्हें समाप्त करने का निर्णय लिया गया। इसमें उपराजस्व अधिकारी, जिलेदार, मुंशी, हेड मुंशी, नलकूप चालक, सींचपाल, मिस्त्री कम ड्राइवर जैसे आवश्यक पद शामिल हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि ये निर्णय पूरी तरह किसान विरोधी और कर्मचारी विरोधी है, जिससे विभाग की आधारभूत कार्य प्रणाली बाधित होगी।

कैसे फूटा आक्रोश:
सिंचाई विभाग के कर्मचारियों ने इस निर्णय के विरोध में 16 मई को प्रदेश स्तर पर एक बैठक कर “संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति” का गठन किया। इसके बाद

20 और 21 मई को काला फीता बांधकर विरोध दर्ज कराया गया,

28 मई को कार्यालयों में गेट मीटिंग कर विरोध प्रदर्शन किया गया।

कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि शासन और विभाग उनकी मांगों को सुनने को तैयार नहीं है और वार्ता का कोई अवसर नहीं दिया जा रहा, जिससे अब “करो या मरो” जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।

कर्मचारियों की प्रमुख आपत्तियाँ:
उक्त पदों की समाप्ति से नहरों, लघु नहरों और नलकूपों का संचालन, रख-रखाव और संपत्ति की सुरक्षा प्रभावित होगी।

ग्राम स्तर पर तैनात कार्मिक किसान हित में सेवा देते हैं, इनकी अनुपस्थिति से पूरी सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।

यह फैसला मुख्यमंत्री के उस संकल्प के खिलाफ है जिसमें उन्होंने रोजगार सृजन और कृषि विकास को प्राथमिकता देने की बात कही थी।

ज्ञापन की प्रमुख मांग:
दिनांक 14.05.2025 के शासनादेश को तत्काल समाप्त किया जाए।

रिक्त पदों को भरा जाए और आवश्यकतानुसार नए पदों का सृजन किया जाए।

कर्मचारियों से तत्काल वार्ता कर समस्याओं का समाधान निकाला जाए।

क्या बोले कर्मचारी नेता:
ज्ञापन सौंपते समय समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि “सरकार की उदासीनता और संवादहीनता के चलते कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है। हमारी मांगें किसानों और विभागीय कार्यों के हित में हैं, लेकिन शासन लगातार उन्हें नजरअंदाज कर रहा है।”

निष्कर्ष:
इस मुद्दे ने सिंचाई विभाग के कर्मचारियों में गहरा असंतोष पैदा कर दिया है। अगर सरकार ने शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो पूरे प्रदेश में आंदोलन और व्यापक विरोध की संभावना जताई जा रही है।

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