रिपोर्ट सुदेश वर्मा
बागपत/ बडौत/ बरनावा/बिनौली की पावन धरती पर भावलिंगी संत श्रमणाचार्य विमर्श सागर जी महामुनिराज का आगमन हुआ। गुरु के आगमन से श्रावकों में आनंद की लहर छा गई। आचार्य श्री ने अपने उद्बोधन में कहा भगवान की सच्ची भक्ति वही कर सकता है जिसमें विनम्रता हो अहंकार ना हो अहंकार और भक्ति दोनों साथ-साथ नहीं रह सकती जब आप भगवान को विनम्रता से नमन करते हैं श्रद्धा से नमन करते हैं निष्ठा से नमन करते हैं तो भगवान की अनंत शक्तियां हम पर बरसती हैं, और हमारे भीतर आनंद का झरना बहने लगता है,असीम आनंद की अनुभूति होती है।विनम्रता जिस व्यक्ति के अंदर होती है उसे देखकर हमारा मन हर्षित हो जाता है हमारा मन मयूर की तरह नाचने लगता है उस व्यक्ति के लिए हमारे मन में सद्भाव जागृत हो जाया करते हैं।आचार्य मानतुंग ने भगवान आदिनाथ ने कहा
हे भगवान आपके दोनों चरण कमल में जब देवता गण पंक्तिपद्ध- कतारबद्ध होकर नमन करते हैं तो उन देवताओं के मुकटों में लगे मणिरत्नों की कांति ऐसे लगती है मानो वह आपके चरणों की पाद पक्षालन कर रही हैं । जीवन का यदि कोई सबसे बड़ा सौभाग्य है तो वह केवल और केवल अपने आराध्य के समीप होना है । इसलिए साधु संत निरंतर श्रावक हो इनकार को छोड़कर विनय को धारण करने के लिए जागृत करते रहते हैं ।
आचार्य श्री ने क्षेत्र समिति को मंगल आशीर्वाद दिया एवं क्षेत्र की प्रगति देखकर आचार्य श्री अत्यंत प्रसन्न हुए। बिनौली गाँव में संत श्रमणाचार्य विमर्श सागर महामुनिराज पुराना दिगंबर व बड़ा दिगंबर जैन मंदिर पर हुआ मंगल आगमन हुआ
इस मौके पर अध्यक्ष जीवंधर जैन सयंम जैन , महामंत्री पंकज जैन, पवन जैन, विनेश जैन, विवेक जैन,संदीप जैन, अशेक जैन, आलोक जैन, परीक्षित जैन,आदि लोग उपस्थित रहे है।