ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट सुनील कुमार/
बाराबंकी/
स्वास्थ्य विभाग की चौंकाने वाली मिलीभगत से अवैध अस्पतालों और पैथोलॉजी सेंटरों का एक खतरनाक नेटवर्क धड़ल्ले से चल रहा है, मासूम मरीजों की जान से खुलकर खिलवाड़ कर रहा है।सेहत के ठेकेदारों’ के पास न तो कोई प्रशिक्षित डॉक्टर है और न ही योग्य स्टाफ, इनके गोरखधंधे पर कोई लगाम नहीं लगाई जा रही है!
पल्हरी का आशीर्वाद नर्सिंग होम इसका जीता-जागता सबूत है।अस्पताल का रजिस्ट्रेशन 30 अप्रैल 2025 को खत्म हो चुका है, लेकिन यह बेखौफ चल रहा है। हैरानी तब और बढ़ जाती है, जब पता चलता है विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी पूरी जानकारी तो है, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ चुप्पी है।अस्पताल संचालक बृजेश कुमार वर्मा का कहना है उन्होंने 5 जून 2025 को रिन्यूअल के लिए आवेदन किया है, स्वास्थ्य विभाग उन्हें दौड़ा रहा है। और तो और, जब जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से यह पूछा गया रजिस्ट्रेशन खत्म होने के बाद भी अस्पताल कैसे चल रहा है, उनका जवाब चौंकाने वाला थाः “हाँ, क्यों नहीं! यदि रिन्यूअल के लिए अप्लाई कर दिया है तो क्यों नहीं संचालन करेंगे?” यह जवाब विभाग की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।हालात इतने बदतर हैं शहर की हर गली से लेकर दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों तक अवैध क्लीनिकों और ‘दो कमरों’ के नर्सिंग होम का जाल बिछा हुआ है। बिना डिग्री वाले लोग खुद को डॉक्टर बताकर सर्दी-जुकाम से लेकर बड़े ऑपरेशन तक कर रहे हैं, मरीजों को भर्ती कर उनका आर्थिक शोषण कर रहे हैं और उनकी जान को सीधे खतरे में डाल रहे हैं।जब इन अवैध गतिविधियों के बारे में जिम्मेदार अधिकारियों से बात की जाती है, तो हमेशा की तरह सिर्फ हवा-हवाई आश्वासन या गोलमोल जवाब ही मिलता है। जिम्मेदार अधिकारियों की संवेदनाएं इस हद तक मर चुकी है कि आए दिन गलत इलाज से मौत के मामले सामने आने के बाद कार्रवाई की जगह मामले की लीपापोती का खेल शुरू हो जाता है। ऐसा लगता है कि यह सब किसी बड़े ‘खेल’ का हिस्सा है, जिसकी कीमत आम जनता अपनी सेहत और जान देकर चुका