मुरादाबाद-
शहर का नेता जी सुभाष चंद्र बोस स्पोर्ट्स स्टेडियम सोनकपुर नशाखोरी का अड्डा बन गया है। यहां प्रैक्टिस करने पहुंच रहे युवा नशे की लत में पड़ गए हैं। यहां बने शौचालय में युवाओं द्वारा खतरनाक एस्टेरॉयड का इंजेक्शन के जरिए इस्तेमाल किया जा रहा है। स्टेडियम के शौचालयों में इंजेक्शन और सिरिंज के ढेर लगे हैं। नियमित साफ सफाई और देखरेख नहीं होने से स्टेडियम की हालत बदहाल हो चली है।
युवाओं के खेलकूद अभ्यास के लिए सेल टैक्स ऑफिस के निकट नेता जी सुभाष चंद्र बोस स्पोर्ट्स स्टेडियम स्थित है। लेकिन इस स्टेडियम का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।स्टेडियम में नियमित साफ सफाई नहीं होने के कारण गंदगी का अंबार लगा हुआ है। साथ ही अब ये स्टेडियम नशेड़ियों के लिए नशे का अड्डा बन गया है। स्टेडियम के शौचालय में भारी मात्रा में सिरिंज तथा नशे के रूप में इस्तेमाल होने वाले दवाइयों की खाली शीशियां भी पड़ी हुईं हैं। नशे से संबंधित दवाइयों को बिना डॉक्टरी पर्चे के नहीं बेचा जा सकता। लेकिन इसके बाद भी किस तरह यह नशे की दवाई इसकी लत में लगे युवाओं तक पहुंच रहीं हैं, यह जांच का विषय है।फिलहाल स्टेडियम प्रशासन इस ओर कोई ध्यान देता हुआ नजर नहीं आ रहा है। लापरवाही के चलते प्रैक्टिस करने पहुंच रहे युवा अपने साथ नशे का सामान लेकर पहुंच रहे हैं और इंजेक्शन के माध्यम से नशे को अपने खून में घोलने का काम कर रहे हैं।
स्टेडियम के शौचालयों में पड़े रहते हैं प्रयोग किए गए इंजेक्शन
मुरादाबाद में खेलों का गढ़ माने जाने वाले नेता जी सुभाष चंद्र बोस स्पोर्ट्स स्टेडियम सोनकपुर अब खेल की बजाय नशे का अड्डा बनता जा रहा है,स्टेडियम के शौचालयों में शराब की बोतलें,नशे के इंजेक्शन सहित कई संदिग्ध सामग्री मिलने से खिलाड़ियों,खासकर बेटियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।स्टेडियम के शौचालयों और स्नान ग्रह में गंदगी और नशे के सामान का अंबार लगा हुआ है,स्टेडियम के बाहर कई स्थानों पर इंजेक्शन और प्रतिबंधित सामग्री को उपयोग के बाद जलाया भी गया।
शहर में युवा पीढ़ी के नशे की जद में आने के बाद से अपराधों इजाफा हो रहा है। युवा विभिन्न माध्यमों से नशा कर क्राइम की दुनिया में कदम रख रहे हैं। पिछले दो सालों के पुलिस आंकड़ों पर गौर किया जाए तो रोड होल्डअप से लेकर मर्डर तक में युवा अहम रोल में देखे गए हैं। चोरी, डकैती, लूटपाट आदि करना मानों उनका शौक बन गया हो। इन वारदातों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग के आरोपी थे। नशे का सबसे आसान तरीका फ्लूड है। युवा हाथ पर या फिर रुमाल पर व्हाइटनर यानी फ्लूड लगाकर उसे सूंघते हैं। नशे जद में केवल युवक ही नहीं, बल्कि किशोर भी आदी हो चुके हैं।
स्टेडियम का स्टाफ भी खेलता है जुआ
शाम होते ही स्टेडियम के स्टाफ की भी शराब और जुआ पार्टी शुरू हो जाती है,पवेलियन के नीचे बने कमरों में कोच और स्टाफ मिलकर शराब पीते हैं और बाद में जुआ भी खेलते हैं,ऐसे में लाखों की तनख्वाह पाने वाले अधिकारी क्यों मौन है ये सोचने वाली बात है।
शाम होते ही स्टेडियम में बने पवेलियन में सज जाती है महफिल
स्टेडियम में बालिकाओं को भी बॉलीबॉल,हैंडबॉल,क्रिकेट ,हॉकी ओर एथलीट बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है,लेकिन यहां शाम होते ही स्टेडियम में बने पवेलियन में शराबी और नशेड़ी लोगों की महफिल जमना शुरू हो जाती है,शराबी और नशेड़ी लोगों की गतिविधियों के कारण बेटियों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। एक महिला खिलाड़ी ने नाम ना आने की शर्त पर बताया कि शाम के समय लोग पवेलियन में बैठकर शराब पीते हैं और लड़कियों को गंदी नजर से देखते हैं,भद्दे कमेंट भी करते हैं,घरवालों को इसलिए नहीं बताया क्योंकि ऐसा करने से उनकी प्रैक्टिस छूट जाएगी।
हर खेल का अलग कोच फिर क्यों लापरवाही
नेता जी सुभाष चंद्र बोस स्पोर्ट्स स्टेडियम सोनकपुर में सभी खेल सिखाए जाते हैं जिनके लिए कोच भी नियुक्त किए गए हैं,जोकि अपनी जिम्मेदारियों से भागते हुए नजर आ रहे हैं,स्टेडियम में नशे के इंजेक्शन और भारी मात्रा सिरींजें मिलना स्टेडियम स्टाफ की भूमिका पर भी सवालिया निशान खड़े कर रहा है,अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोग अपने बच्चों को यहां भेजना बंद कर देंगे क्योंकि वे अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाने के लिए भेजते हैं न कि नशेड़ी।इससे पहले कि खेल का मंदिर,खिलाड़ियों के लिए वरदान की जगह अभिशाप बने आला अधिकारियों को सख्त कदम उठाने होंगे।
नशे के इंजेक्शन पर प्रतिबंध होने के बाद भी आखिर कहां हो रही खरीदफरोख्त
स्टेडियम में मुरादाबाद और आसपास के युवा प्रैक्टिस करने आते हैं,बड़ा सवाल ये भी है कि सरकार द्वारा नशे के इंजेक्शन पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी आखिर इनकी खरीदफरोख्त कर कौन रहा है,जो युवाओं को नशे की दलदल में धकेल रहा है,कहीं स्टेडियम के आसपास संचालित मेडिकल स्टोर पर तो ये इंजेक्शन नहीं बेचे जा रहे,आलाधिकारियों को संज्ञान लेना चाहिए।
खेल के मैदान में नशे का सामान आखिर लाता है कौन
एक ओर राज्य सरकार नशे को रोकने के लिए नित नए अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर नेता जी सुभाष चंद्र बोस स्पोर्ट्स स्टेडियम सोनकपुर में नशे का सामान मिलना खेल और खिलाड़ियों के लिए अच्छा संकेत नहीं है। नशे की यह सामग्री खिलाड़ी लाते हैं या कोई और,ये सोचने की बात है कि ओलंपियन बनने का सपना लेकर आने वाले बच्चे यहां इन लतों के शिकार होकर कैरियर तो बर्बाद नहीं कर रहे। क्रीडा परिषद को व्यवस्थाएं सुधारनी होंगी,ताकि खेल प्रतिभाएं नशे की लत में बर्बाद न हो जाएं।