समाज साहित्य का दर्पण होता है= डॉ बालमुकुंद

schedule
2024-12-15 | 16:58h
update
2024-12-15 | 16:58h
person
eastindiatimes.in
domain
eastindiatimes.in

ईस्ट इंडिया टाइम्स एस पी कुशवाहा।

देवरिया।
संगठन मंत्री अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली डॉ बालमुकुंद जी ने आज यहां कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, समाज साहित्य से संचालित होता है।
श्री पाण्डेय आज यहां नागरी प्रचारिणी, सभा के तुलसी सभागार में निगम अवधेश राजू द्वारा लिखित अंग्रेजी की “अन टोल्ड इमोशंस” व हिन्दी पुस्तक “मैं भूल सकता हूं क्या?” का विमोचन करते हुए, मुख्य अतिथि के तौर पर कहा।
समाज के जो पूर्ववर्ती लोगों के अनुभव हैं कि साहित्य समाज को दिशा देता है, इसलिए सद साहित्य का पठान, वाचन, लेखन एक समृद्ध समाज को श्रेष्ठ बना सकता है। अगर भारत को 2047 में दुनिया के दौड़ में शामिल होना है, सर्वश्रेष्ठ साबित होना है तो भारत के साहित्यिक मेधा के सम्मान के द्वारा ही आगे बढ़ सकता है। साहित्य ही समाज को व्यक्त करता है, साहित्य से ही समाज प्रशिक्षण लेकर अपने कार्यों को आगे बढ़ा सकता है।
उन्होंने कहा कि श्री रामचरित मानस ग्रन्थ जो मुगलों के काल में समाज के सामने आया, आज भी लोगो के कंठ में है। साहित्य आंदोलन का काम करता है, साहित्य की कलम किसी तलवार से कम नहीं होती है, तलवार की धार शरीर के एक भाग पर लगती है, लेकिन साहित्य का धार पूरे शरीर को झंकृत कर देता है और समाज की दिशा देता है।
विशिष्ठ अतिथि पूर्व विधायक डॉ सत्य प्रकाश मणि ने कहा कि पुस्तक के लेखक निगम अवधेश राजू ने बहुत ही तन्मयता से जीवन के जीवंत घटनाओं को उकेरा है, उन्होंने कहा कि व्यक्ति वहीं सफल हो सकता है जो अपनी यादों और इतिहास को अपने मन तथा जीवन में संरक्षित कर जीवन जीता है।
डॉ बालमुकुंद जी ने कहा कि कंप्यूटर के वायरस को रोकने हेतु एंटी वायरस प्रयोग करते हैं, वहीं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने में साहित्य महती भूमिका निभाता है।
डॉ दिवाकर प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि इतिहास ही व्यक्ति को अपने जीवन जीने की कला और सीख देता है, उन्होंने कहा कि इतिहास ही ऐसा है जिससे व्यक्ति अपने पुरातन गौरव को याद कर आगे बढ़ सकता है।
नगर पालिका परिषद, गौरा बरहज की अध्यक्षा, श्वेता जायसवाल ने कहा कि इस पुस्तक में लेखक द्वारा अपनी भावनाओं और यादों को समेटते हुए कहने का प्रयास किया है कि अच्छी व बुरी बातें व्यक्ति को भूलना नहीं चाहिए।
मंत्री डॉ अनिल त्रिपाठी ने नागरी प्रचारिणी सभा के इतिहास और योगदान पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य व्यक्ति के स्वस्थ्य मानसिकता के लिए जरूरी है, इससे व्यक्ति तरो ताजा हो जाता है।
कार्यक्रम में शिला निगम, पलक, काकुल, मृत्युंजय विशारद, वेद प्रकाश दुबे, शांति स्वरूप, करन त्रिपाठी, अजय मणि, सरोज पांडे सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

Advertisement

Post Views: 80
Advertisement

Imprint
Responsible for the content:
eastindiatimes.in
Privacy & Terms of Use:
eastindiatimes.in
Mobile website via:
WordPress AMP Plugin
Last AMPHTML update:
10.05.2025 - 00:07:14
Privacy-Data & cookie usage: