ब्रिटिश हुकूमत में अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया ऐमा पुल 133 साल का सफर पूरा कर अब होगा अलविदा

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(ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेन्द्र सिंह धुआँधार)

ठठिया(कन्नौज) । ब्रिटिश हुकूमत में बनाए गए ऐमा पुल का सफर अब पूरा हो चुका है।133 साल तक बोझ सहने वाला यह पुल अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। इसकी जर्जर अवस्था को देख अफसरों ने गिराने का निर्णय लिया है और इसके स्थान पर नया पुल बनाने के लिए 3.33 करोड़ रुपये की धनराशि भी स्वीकृत कर दी है। गुलामी के दौर से लेकर आजादी के बाद तक यह पुल कई घटनाओं का गवाह रहा। इतिहास को समेटे ऐमा पुल अब खुद इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। हरिद्वार से कानपुर तक जाने वाली निचली गंग नहर पर बना यह लोहे का पुल 1891 में बनाया गया था। अंग्रेजों ने इस पुल को सैन्य वाहनों और टुकड़ियों के आने-जाने के लिए बनवाया था। इसके अलावा जिले में ठठिया इलाके में कई लोग कानपुर देहात जिले के रसूलाबाद और बिषधन कस्बों में बाजार करने जाते थे। ऐसे में उनको दिक्कत होती थी। नहर का बहाव तेज होने के कारण नाव से पार करना मुश्किल था, तब ठठिया स्टेट के राजा पोहकर सिंह के कहने पर अंग्रेज इंजीनियर कर्नल प्रोबी थॉमस कॉटली ने पुल का निर्माण कराया था। 1892 में इसे आम जनता के आवागमन के लिए खोला गया था। यह पुल आज भी ब्रिटिश इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। इसके निर्माण में 31 टन लोहे का प्रयोग किया गया था। करीब 30 मीटर लंबा और चार मीटर चौड़ा यह पुल अब जर्जर स्थिति में पहुंच गया है और इसे भारी वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है।अपराधों के लिए भी बदनाम रहा ऐमा पुल
ऐमा पुल के बनने से जहां कानपुर देहात और औरैया जिले के लोगों को कन्नौज आने में सहूलियत हुई तो 70-80 के दशक में यहां अपराधियों का बोलबाला हो गया। हालत यह थी कि उस समय दोपहर में भी इस पुल से निकलने में लोग डरते थे। पुल के आसपास बबूल के जंगल थे और शाम को पांच बजे के बाद लोग इस पुल से नहीं निकलते थे। उस समय ऐमा पुल पर लूटपाट व राहजनी होना आम बात थी। कई बार पुल के नीचे शव भी मिले थे। गांव के लोग टोली बनाकर निकलते थे। पुराने लोगों का कहना है कि तब पुलिस भी उधर से गुजरने से हिचकती थी। पिछले एक दशक से यहां लूटपाट बंद हो गई। लोक निर्माण विभाग (प्रांतीय खंड) के अधिशासी अभियंता दीपेश अस्थाना ने बताया कि ऐमा पुल काफी जर्जर हो गया था, जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। अब शासन ने नया पुल बनाने के लिए 3.33 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। जल्द ही पुराने पुल को ध्वस्त कर निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा।

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