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दरगाह बाबा जूही शाह पर सूूफ़ी बसंत मनाया गया।

सूफ़ी बसंत 800 सालों से चिश्तिया सिलसिले की हर खानकाह में मनाया जाता है-मुशीर अहमद क़ादरी चिश्ती वारसी

ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट सुधीर कुमार
कायमगंज/फर्रुखाबाद
हर साल की तरह इस साल भी ख़ानकाह हज़रत बाबा जूही शाह व मुनीर अहमद शाह रहमतुल्लाह अलैह पर गेंहूँ बाली कनेर गेंदा गुलाब दीगर फूल पत्ती मिट्टी की मटकी सर पर रख कर दरगाह में पेश किये गये पीला हलवा पीली खिचड़ी पर नज़र और मुल्क की सलामती की दुआ के साथ सूफ़ी बसंत मनाया गया जिसमें दरगाह के सज्जादानशीन सूफ़ी हज़रत मुशीर अहमद क़ादरी चिश्ती वारसी ने सूफ़ी बसंत के बारे में बताया कि सूफ़ी बसंत 800 सालों से चिश्तिया सिलसिले की हर खानकाह में मनाया जाता है और यह रस्म हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया व उनके मुरीद हज़रत अमीर ख़ुसरो की याद दिलाती है कि कैसे एक मुरीद (शिष्य) अपने पीर (गुरु) को कैसे ख़ुश देखना चाहता है पर आज इस दौर में मुरीद यह चाहता है कि उसे धन दौलत मिल जाये जब्कि पीर का काम मुरीद की आखिरत संवारने का होता कि कैसे वह अल्लाह (ईश्वर) को राज़ी किया जाये ख़ानकाहो ने हमेशा से मुल्क की ख़िदमत अवाम की ख़िदमत और आपस में प्यार को अहमियत दी इल्म पर खानकाहों ने हमेशा ज़ोर दिया कि चाहे एक वक्त का फाका(भूका रहना) करना पड़े पर अपने बच्चों को इल्म ज़रूर दें मुल्क की तरक्की के बारें में सोचते रहें क्योंकि जब मुल्क की तरक्की होती है तो हमारी तरक्की होती है इस मौके पर सज्जादानशीन सूफ़ी हज़रत मुशीर अहमद क़ादरी चिश्ती वारसी मुफ़्ती मुनीर अहमद नूरी हाफ़िज़ आज़म साहब नात ख़्वांह आक़िल ख़ान, मंसूर ख़ान,बबलू भाई, मसूद खान, डा०आदित्य रतन,हरिओम,आमिर हुसैन,शानू,तौहीद,तारिक,हमज़ा,ख़लील,शमशाद,सनी बाथम,जमील भाई,प्यारे ख़ान,जावेद खान,जुनैद ख़ान,एड०राहुल सागर,एड०जव्वाद खान,डा० अरशद मंसूरी,आसिफ़ मंसूरी,धनेश गौड़,अजमेरी भाई, ज़मीर अहमद,पप्पन,कदीर अहमद,नोमान,हसीब,आसिफ नेता राजा, अक़ील ख़ान आदि शामिल रहे।

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