चार शव आते ही मचा कोहराम, एक साथ जली चार चिताए,गांव पहुंचा प्रशासन एसडीएम ने बधाया ढाढ़स
ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान
कायमगंज/फर्रुखाबाद
मध्यप्रदेश के बागेश्वरधाम दर्शन के लिए जा रहे परिवार की सड़क हादमें में चार लोगों की मौत हो गई। गांव में शव आते ही कोहराम मच गया। ढाई घाट पर एक साथ चोरों चिताएं जली। हर आंख नम हो गई।
मंगलवार को क्षेत्र के गांव नरैनामऊ निवासी मनोज उर्फ लालू उसकी पत्नी मनू, मां नन्ही देवी व भाई गोबिंद की मध्यप्रदेश के बागेश्वरधाम दर्शन के लिए जाते समय छतरपुर के पास सड़क हादसे में मौत हो गई थी। जबकि मृतक मनोज का साला मोनू गंभीर रूप से घायल हो गया। मध्यप्रदेश की पुलिस ने शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। सूचना पर परिजन मौके पर रवाना हो गए थे। पोस्टमार्टम के बाद चारों शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए गए। बुधवार की तड़के जैसे ही दंपति, मां व भाई का शव दो एंबुलेंस से गांव पहुंचा। वैसे ही परिजनों के चीत्कार से ग्रामीणों के दिल दहल गए। शव आने की जानकारी पर हजारों की संख्या में हुजूम उमड़ पड़ा। आसपास के ग्रामीण भी पहुंचे। शव आने से पहले ही प्रशासन एलर्ट मोड में था। जानकारी पर एसडीएम रवींद्र सिंह, नायब तहसीलदार सृजन कुमार, राजस्व कर्मियों व प्रभारी निरीक्षक रामअवतार पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। शव देखते ही परिजनों के करुण क्रंदन को देख कर हर आंख नम हो गई। घर के मुखिया राजकुमार का हाल बेहाल था। वह कभी अपने दोनो बेटे के शव के पास पहुंच जाते तो कभी अपनी पत्नी के पास तो कभी बहु के शव को देख कर लौट आते। उनका दर्द वही जानते थे। वह फूट कर रो पड़े और फिर चुप हो गए। घर के परिजनों ने उन्हे सहारा दिया और एक ओर बैठा दिया। गोबिंद की पत्नी रचना का दुख अपार था। एक ओर वह अपने पति गोबिंद के शव को निहार लेती तो दूसरी ओर वह जेठ जेठानी व सास के शव को देख कर पछाड़े खा खा कर गिर पड़ती। लोग उसे संभालते लेकिन लोग भी दुखी होकर रो पड़ते है। चीत्कार से सभी के दिल दहल गए। शव देख कर बच्चे भी रो रहे थे। मृतक मनोज की 13 वर्षीय पुत्री वंदना, 9 वर्षीय निहारिका, 8 वर्षीय अंशुल जबकि उसके दूसरे भाई मृतक गोबिंद के आठ वर्षीय पुत्र राघव दहाड़े मार कर रो पड़े। बच्चे कह रहे थे पता नहीं पापा, मम्मी कहा चले गए। हमारा क्या होगा। यह सुनकर भीड़ की आंखो में आंसू भर आए। मृतक मनोज व गोबिंद के भाई अनिल, अवनीश उर्फ भोले का रो-रो कर बुरा हाल था। उनके आंखो में आंसू रोके नहीं रूक रहे थे। मृतक के नाते रिश्तेदार, सगे संबंधी सभी का रो-रो कर बुरा हाल था। गोबिंद की डेढ़ वर्षीय पुत्री देविका को यही पता नहीं पता था कि अब उसके पिता इस दुनिया में नहीं रहे। वह रो रहे बच्चों को टकटकी बांधे देख रही थी और फिर अंदर चली जाती। नरैनामऊ में चार मौतों पर हर कोई स्तब्ध था। अर्थी बनाने वाले नाते रिश्तेदार भी रो रहे थे। जैसे ही चारो शव को अर्थी पर रखा गया और उसके पीछे हजारों ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा। टै्रक्टर से सभी शमसाबाद के ढाईघाट गंगाघाट पर पहुंचे। जहां मनोज, उसकी पत्नी मनू व भाई गोबिंद को उसके छोटे भाई अवनीश उर्फ भोला ने मुखाग्नि दी। जबकि नन्ही देवी को पति राजकुमार ने मुखाग्नि दी। एक साथ चारो चिताओ को मुखाग्नि दी गई। सभी के आंखो में आंसू भर आ गए। भीषण हादसे में नरैनामऊ में चार मौत पर शव देख कर पुलिस प्रशासन भी बेहद दुखी था। वह लगातार परिजनों से बात कर रहे थे और जो भी संभव मदद की जरूरत होती। उस पर बात करते देखे गए। एसडीएम मृतक मनोज व गोबिंद के घर की तरफ भी गए। उसके हालात देखे। एसडीएम रवींद्र सिंह ने राजस्व कर्मी अजय मिश्रा को निर्देशित किया कि मृतक परिवार को कोटेदार के माध्यम से राशन उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा आवास आदि संबंधित जरूरतों को पूरा करने की प्रक्रिया की जाए वही लाभकारी योजनाओं की भी प्रक्रिया की जाए।
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