रिपोर्ट विरेंद्र तोमर बागपत

बागपत/ बडौत/ छपरौली, विजयादशमी के पवित्र अवसर पर क्षेत्र के गाँव शबगा में ग्राम सेवा संगठन द्वारा आयोजित विचार एवं काव्य गोष्ठी में कवियों और समाजसेवियों ने समाज, राष्ट्र और संस्कृतिपरक मूल्यों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर उपस्थित सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। गोष्ठी का आयोजन राम अवतार वैष्णव के नेतृत्व में और डायरेक्टर ओमपाल सिंह पवाँर के निवास स्थान पर किया गया। इसमें वक्ताओं और कवियों ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, सनातन वैदिक धर्म और सामाजिक मूल्यों पर अपने विचार साझा किए।
कवि और समाजसेवी आर०आर०डी० उपाध्याय ने कहा कि रामादल में यदि केवल राम ही होते तो लंका का धर्मयुद्ध अधूरा रह जाता। उन्होंने आगे कहा, “देश में रावण के लाखों पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन यदि व्यक्ति अपने भीतर बैठे रावणों का दहन कर ले, तो समाज और राष्ट्र में अच्छे नागरिकों का निर्माण हो सकता है।” कवि अरविन्द उपाध्याय, योगेन्द्र कुमार सरोहा, भारतीय पवाँर और सुनील कुमार आर्य ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। प्रस्तुत रचनाओं में जीवन के अनुभव, समाज सुधार, नैतिकता और मानव मूल्यों को प्रमुखता दी गई। गोष्ठी के अध्यक्ष और डायरेक्टर ओमपाल सिंह पवाँर ने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों को पोषित करने के लिए संस्कृत भाषा का अध्ययन और गीता के श्लोकों का जीवन में उतारना आवश्यक है। वहीं, ग्राम सेवा संगठन के अध्यक्ष योगेन्द्र कुमार सरोहा ने कहा, “भारतवर्ष दुनिया का सबसे प्राचीन राष्ट्र है। सभी ऋषि-महापुरुष और हमारे पूर्वज मां भारती की संतान हैं। किसी को भारतवर्ष का पिता कहना भारतीय संस्कृति का अपमान है।” गोष्ठी का संचालन एडवोकेट रविकुमार वैष्णव ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रधानाचार्य अरविन्द कुमार लूम्ब, अमित कुमार हुड्डा, स्वामी जितेन्द्र कुमार बली, मा० कुलदीप पवाँर, रवि शास्त्री, राम अवतार स्वामी, अरविन्द कुमार उपाध्याय, मनोज गिरि, अंजू चौधरी, तेज सिंह, लाल सिंह, प्रवीण, रामगोपाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
गोष्ठी ने नागरिकों और विद्यार्थियों को विजयादशमी के अवसर पर न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का भी संदेश दिया