विधानसभा अध्यक्ष का निर्दलीय विधायक को बचाना किसी आपराधिक षड्यंत्र से कम नहीं

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ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट फैयाज अहमद।

देहरादून/विकासनगर/जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि विधानसभाध्यक्ष श्रीमती रितु खंडूरी का खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को बचाना अपराधिक षड्यंत्र से कम नहीं है। ऐसा व्यक्ति जिसके खिलाफ तीन दर्जन के लगभग संगीन अपराधों में मुकदमे दर्ज हों, जिनमें से कई मुकदमे प्रदेश को शर्मसार करने के लिए बहुत हैं, ऐसे व्यक्ति को संरक्षण देकर विधानसभाध्यक्ष प्रदेश की जनता को धोखा दे रही हैं । नेगी ने कहा कि 26 मई 2022 को रुड़की निवासी श्री पनियाला ने विधानसभाध्यक्ष के समक्ष विधायक उमेश कुमार द्वारा दल- बदल किए जाने के मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका दायर की थी, जिसमें उल्लेख किया गया था कि उक्त विधायक द्वारा निर्दलीय रूप से विधायक चुने जाने के उपरांत पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने और अपनी क्षेत्रीय पार्टी बनाकर बनाकर दल-बदल कानून का उल्लंघन किया है, जिसके चलते ये दल-बदल कानून की परिधि में आ गए हैं तथा इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए, लेकिन ढाई साल से अधिक का समय होने को हैं, इतने लंबे अंतराल के उपरांत भी विधानसभाध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूरी द्वारा कोई कार्रवाई न करना निश्चित तौर पर बहुत बड़ी मिली भगत / किसी भय की आशंका की तरफ इशारा करती है । यहां तक कि विधानसभाध्यक्ष ने सचिवालय विधानसभा के अधिकारियों/ कर्मचारियों को भी इस मामले में कोई कार्रवाई न करने के निर्देश मौखिक रूप से दिए गए हैं। आखिर किस बात का डर उनको सता रहा है ! वह निर्णय लेने से क्यों डर रही हैं ! क्यों संविधान की धज्जियां उड़ाने का काम किया जा रहा है ! इस मिलीभगत का राज क्या है ! हैरान करने वाली बात यह है कि पूर्व में विधानसभाध्यक्ष ने विधानसभा भर्ती घोटाले में जिस तरह से नियुक्तियां रद्द कर दी थी, उस समय यह लगा कि इनमें कुछ कर गुजरने का माद्दा है, लेकिन सदस्यता रद्द करने / निर्णय लेने के मामले में कार्रवाई न करना निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है तथा प्रदेश को शर्मसार करने के लिए बहुत है | विधानसभाध्यक्ष को चाहिए कि इस मामले में निर्णय लें, निर्णय चाहे कुछ भी हो, लेकिन हर हालत में निर्णय होना चाहिए । नेगी ने कहा कि पूर्व में दल-बदल के चलते विधायक श्री राम सिंह केड़ा, प्रीतम पंवार, राजेंद्र भंडारी व राजकुमार आदि विधायकों को भी इस्तीफा देना पड़ा था | इसी क्रम में तत्कालीन हरीश रावत सरकार के समय वर्ष 2016 में 9 विधायकों द्वारा दल- बदल करने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी । आज जनता विधानसभाध्यक्ष से सवाल पूछ रही है कि यह दोहरा मापदंड क्यों ! मोर्चा इस मिलीभगत / नाकामी के मामले में श्रीमती खंडूरी से इस्तीफे की मांग करता है । पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, अमित जैन व संतोष शर्मा मौजूद थे।

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