देहरादून 750 बीघा जमीन पर डीएम देहरादून का बड़ा एक्शनकब्जा वापसी की प्रक्रिया हुई शुरू

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ईस्ट इंडिया टाइम्स फैयाज अहमद

देहरादूनः दून की जमीनों पर हमेशा से ही राज्य से बाहर के लोगों की नजर रही है। राज्य बनने और अस्थाई राजधानी घोषित होने के बाद दून में जमीनों की खरीद-फरोख्त कई गुना बढ़ गई, तो सरकार ने बाहरी लोगों को जमीन खरीद को निर्धारित कर दिया। बावजूद इसके कई लोगों ने यहां जमीन के नाम पर इन्वेस्ट करने के लिए अलग-अलग प्रयोजनों के लिए कई-कई बीघा जमीन खरीद कर सरकार से अनुमति ली, लेकिन अनुमति का उल्लंघन करने पर सरकार ने ऐसी जमीनों को जब्त करना शुरू किया। अब तक करीब 700 बीघा जमीन को नियम शर्तों का उल्लंघन का दोषी पाया गया।

जिला प्रशासन की ओर से ऐसी जमीनों को सरकार में निहित करने के आदेश जारी किए गए, तो लोग तसहील व एसडीएम कोर्ट चले गए। कोर्ट ने भी इन्हें शर्तों के उल्लंघन का आरोपी पाया। जिला प्रशासन अब तक ऐसी 300 बीघा जमीन पर कब्जा कर चुका है। 350 बीघा जमीन पर जब्त करने की कार्रवाई चल रही है। जिले में निर्धारित प्रयोजन के लिए दूसरे राज्यों के व्यक्तियों की ओर से खरीदी गई भूमि पर नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवा जा रही है। शासन की अनुमति लेकर खरीदी गई 250 वर्गमीटर से अधिक की भूमि पर प्रयोजन पूरा न करने पर संबंधित भूमि को राज्य सरकार में निहित किया जाना है। डीएम सविन बंसल ने 28 फरवरी तक ऐसे सभी प्रकरणों के निस्तारण के निर्देश दिए हैं। अब तक प्रशासन 300 बीघा भूमि को सरकार में निहित भी करा चुका है।

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बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में डीएम सविन बंसल ने निर्धारित प्रयोजन होटल, रिसार्ट, उद्योग, कृषि व बागवानी के लिए खरीदी गई भूमि में मानकों के उल्लंघन के मामलों पर कार्रवाई का अपडेट लिया। देहरादून जिले में अनुमति के आधार पर कुल 391 प्रकरणों में 250 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल की भूमि क्रय की गई है। इनमें 281 मामलों में शर्तों का उल्लंघन पाया गया है। ऐसी भूमि करीब 189 हेक्टेयर यानि करीब 750 बीघा है। डीएम ऐसे प्रकरणों पर शुरुआत से ही गंभीर दिख रहे हैं। उन्होंने जनवरी में सभी उप जिलाधिकारियों को सख्त हिदायत दी थी कि भूमि खरीद के उल्लंघन के मामलों में त्वरित कार्रवाई की जाए। इसके लिए उन्होंने प्रत्येक सप्ताह कार्रवाई का अपडेट भी देने को कहा था। साथ ही हिदायत दी थी कि इस कार्रवाई में काम के बोझ या अतिरिक्त कार्यों का बहाना नहीं चलेग अब इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं।

डीएम के अनुसार अब तक करीब 300 बीघा भूमि सरकार में निहित की जा चुकी है। उन्होंने साफ किया कि ऐसे प्रकरणों का निस्तारण फास्ट ट्रेक पर किया जाए। 28 फरवरी तक समस्त भूमि को सरकार में निहित कर कब्जा प्राप्त करने की कार्रवाई शुरु कर दी जाएगी। लिहाजा, टारगेट के अनुसार सभी उपजिलाधिकारी कार्य में तेजी लाएं। इस दौरान एडीएम प्रशासन जयभारत सिंह, एसडीएम मुख्यालय कुमकुम जोशी, एसडीएम विकासनगर विनोद कुमार, कालसी गौरी प्रभात, चकराता योगेश मेहरा, डोईवाला अपर्णा ढौंडियाल व ऋषिकेश स्मृति परमार मुख्य रूप से मौजूद रहीं।

नियमों के अनुसार, उत्तराखंड में बाहरी व्यक्ति अपनी पूरी लाइफ में अपने या परिवार के सदस्यों के नाम पर एक बार 250 वर्गमीटर तक भूमि खरीद सकते हैं। इससे अधिक भूमि की खरीद पर प्रयोजन बताकर अनुमति लेनी होती है। साथ ही दो वर्ष के भीतर प्रयोजन के मुताबिक गतिविधि शुरू करनी होती है। लेकिन, बड़ी संख्या में तय प्रयोजन के लिए खरीदी गई भूमि पर नियमों का उल्लंघन पाया गया है। यही कारण है कि प्रदेश सरकार को कराकर कार्रवाई शुरू करनी पड़ी।

डीएम की सख्ती से हलचल

डीएम के कड़े रुख से भूमि खरीदने वाले तमाम प्रभावशाली व्यक्तियों में खलबली मची है। कई लोग भूमि को बेचने के तरीके भी खोज रहे हैं। वहीं, कुछ राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कराने की जुगत में भी हैं।

न्यूज पेपर के माध्यम से नोटिस तामील

प्रशासन के नोटिस से बचने का बहाना भी काम नहीं आ रहा है। क्योंकि डीएम ने पहले ही साफ कर दिया था कि जो व्यक्ति नहीं मिल रहे हैं और नोटिस तामील होने में अड़चन पैदा हो रही है, उसके लिए अन्य माध्यम तलाशे जाएं। डीएम ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को समाचार पत्रों के माध्यम से नोटिस की तामीली कराई जा रही है।

प्रकरण से जुड़ी मुख्य बातें

  • राज्य से बाहर के व्यक्ति मकान बनाने को 250 वर्ग मीटर जमीन खरीद सकते हैं।
  • व्यक्ति अपने या परिवार के किसी सदस्य के नाम लाइफ में एक बार खरीद सकता जमीन ।
  • इससे अधिक जमीन पर भूमि प्रयोजन पर लेनी पड़ती है सरकार से अनुमति
  • होटल, रिसार्ट, उद्योग, कृषि व बागवाना के लिए खरीदी गई थी भूमि।
  • जिले में 391 मामलों में से 281 ने किया शर्तों का उल्लंघन ।
  • प्रशासन की जांच में सामने आई 750 बीघा जमीन ।
  • न होटल बने न रिसोर्ट, इन्वेस्टमेंट के परपज से खरीदी गई जमीन ।
  • जमीन सरकार में निहित होते ही भागे कोर्ट, नहीं मिली राहत
  • डीएम ने ऐसे प्रकरणों पर तहसील व एसडीएम कोर्ट को फास्ट ट्रैक पर निस्तारित करने के दिए निर्देश
  • अब तक 300 बीघा, इस महीने की 28 तारीख तक 750 बीघा को कब्जे में लेगा प्रशासन
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