कोर्ट के आदेश की अवहेलना करना उप जिलाधिकारी तिर्वा को पड़ा महंगा जज ने एसडीएम तिर्वा की सरकारी गाड़ी कुर्क करने का दिया आदेश

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ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेन्द्र सिंह धुआँधार

कन्नौज। कोर्ट के आदेश की अवहेलना करना उप जिलाधिकारी तिर्वा को उस समय महंगा पड़ गया जब जज ने उपजिलाधिकारी तिर्वा की सरकारी गाड़ी कुर्क करने का आदेश दे दिया। किशोरी से दुष्कर्म के आरोप में जिला जेल में बंद पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव व उनके परिजनों के होटल चंदन को सीजमुक्त कराने के आदेश की अवहेलना करना उप जिलाधिकारी तिर्वा को महंगा पड़ गया। पूर्व ब्लॉक प्रमुख के भाई के प्रार्थना पत्र पर सुनवायी करते हुये सिविल जज सीनियर डिवीजन ज्योत्सना यादव ने एसडीएम तिर्वा की सरकारी गाड़ी कुर्क करने का निर्णय दिया है। उन्होंने कुर्की वारंट जारी कर सात दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है।
पूर्व ब्लॉक प्रमुख समेत परिजनों का तिर्वा तहसील इलाके के गांव सखौली में होटल चंदन है। गैंगस्टर एक्ट के मामले में पुलिस व प्रशासन ने होटल को कुर्क कर अपना ताला डाल दिया था। बाद में उसे सीज कर दिया गया। होटल खुलवाने को लेकर नवाब सिंह यादव के भाई सुदर्शन सिंह निवासी ग्राम अडंगापुर कोतवाली कन्नौज ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया। इस पर न्यायालय ने सुनवायी करते हुये 24 दिसंबर 2024 को होटल सीजमुक्त करने के साथ तीन दिन के भीतर अनुपालन आख्या मांगी थी। इस पर जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने एक फरवरी को न्यायालय में अपनी आख्या देते हुये जानकारी दी कि सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट दाखिल की गयी है। जिसमें जल्द ही सुनवायी होना संभावित है इसलिये 24 दिसंबर को दिये गये आदेश का अनुपालन होना सुनिश्चित नहीं हो पाया है। डीएम, एसपी ने न्यायाधीश से अतिरिक्त समय दिये जाने की याचना की थी। इस मामले में जिला जज ने 13 जनवरी 2025 को सिविल जज सीनियर डिवीजन के 24 दिसंबर को दिये गये आदेश की पुष्टि करते हुये आदेश का अनुपालन कर आगे की प्रक्रिया अपनाने का निर्णय दिया था। गुरुवार को सुदर्शन सिंह के अधिवक्ता रामजी श्रीवास्तव आदि ने सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में पत्रावली पेश करते हुये प्रशासन की ओर से आदेश का अनुपालन न किये जाने की बात कही। इस पर न्यायाधीश ने पत्रावली देखी और उप जिलाधिकारी तिर्वा अशोक कुमार के सरकारी वाहन को कुर्क करने का निर्णय दिया। निर्णय में न्यायाधीश का कहना है कि मामले में उच्च न्यायालय इलाहाबाद का कोई स्टे आर्डर उपलब्ध नहीं है। इसलिये उच्च न्यायालय में मात्र रिट दायर करना ही कार्रवाई स्थगित किये जाने का आधार नहीं है। प्रशासन न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवहेलना कर रहा है। पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी की आख्या से ये जाहिर होता है कि वे केवल उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने के इच्छुक हैं, लेकिन अधीनस्थ न्यायालय के निर्णय के अनुपालन में उन्हें कोई रुचि नहीं है। पुलिस व प्रशासन को केवल होटल को सीजमुक्त करने के लिये आदेशित किया गया है, जिसको भी वे मानना नहीं चाहते। न्यायाधीश का यह भी कहना है कि इससे स्पष्ट है कि न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवमानना की गयी है और अब तक दोनों आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया है।

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