नारी तू नारायणी महिला के तीन रूप बेटी, पत्नी, मां।

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ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट मनोज जौहरी

फर्रूखाबाद/
बंधुओं ! हमारे समाज में महिलाओं को नारी तू नारायणी कहा गया है । यह कथन बिल्कुल यथार्थ है क्योंकि महिलाऐं एक बार नहीं तीन बार जन्म लेती है । पहली बार बेटी के रूप में, दूसरी बार पत्नी एवं तीसरी बार मां के रूप में जन्म लेती है। पहली बार जब जन्म लेती है तब उसको एक बेटी होने का एहसास होता है और वह अपना बीस पच्चीस साल का जीवन अपने माता-पिता, भाई बहनों को देकर सबका ख्याल रखती है।
✍ जब शादी होती है तब उसका जीवन उसके पति, उसके ससुराल वालों के साथ में हो जाता है, वहां पर भी वह सबकी खुशियों का ध्यान रखती है । जब अपनी संतान होती है तब उसका जीवन अपने बच्चों में लग जाता है । सच कहें तो एक महिला बड़ा ही स्वाभिमानी, संस्कारी एवं शक्तिमान के साथ साथ वह बड़ी सहनशीलता वाली होती है । उसके अंदर हर प्रकार की सहनशक्ति होती है तभी तो उसका तीन बार जन्म होता है।
✍ ईश्वर उसकी झोली में ममता डाल देता है तभी तो पचीस साल अपने माता-पिता के साथ रहने के बाद एक अजनबी परिवार में जाकर उस परिवार को भी अपना बना लेती है । महिलाऐं पूर्ण रूप से ना माता-पिता के हो पाती है और ना अपने ससुराल वालों की ही, उसका मन हमेशा दोनों तरफ बराबर होता है । जब अपने खुद की संतान हो जाती है तब उसकी ममता अपने बच्चों में लग जाती है । जिससे उसको अपने मायके से थोड़ा सा दूर होना पड़ता है।
✍ ससुराल में सबकी पसंद का खाना बनाना, बच्चों एवं पति के साथ साथ घर के सभी सदस्यों को देखना, घर के भी काम करना, यह सिर्फ एक महिलाऐं ही कर सकती है । अगर जिस घर में महिलाऐं ना हो तो उस घर में बिल्कुल भी रंगत नहीं होती । वह घर, घर नहीं लगता है, बिल्कुल सूना सूना सा लगता है । कहावतें भी है बिन घरनी घर भूत के डेरा । इसीलिए स्त्रियो को देवी माना गया है।
 ✍ महिलाऐं जब श्रृंगार करती हैं तो कितनी ही बदसूरत क्यों ना हो, जब साड़ी पहन ले और अपने माथे पर बिंदी लगा ले तो वह एक देवी का रूप लगती है । पराया मर्द कोई भी आंखें उठा कर नहीं देख सकता क्योंकि उनके माथे पर सजी जो बिंदी होती है वह उनकी तीसरी नेत्र होती है।
✍ महिलाओं में एक सुंदरता और होती है जो अपने घरों को पूरी तरह से ख्याल रखती है, चाहे उसका रसोई घर हो या बेडरूम या चाहे ड्राइंग रूम हीं क्यों ना हो, हर चीज को सजाना जानती है । इसीलिए कहते हैं महिलाऐं बहुत शक्ति शाली होती है । जिस घर में महिलाओं की कदर होती है उस घर में अन्न धन लक्ष्मी की कभी कमी नहीं होती है । जिस घर की महिलाऐं जब सज संवर के रहती है, हमेशा हंसती बोलती रहती है, उस घर में किसी चीज की कमी नहीं होती ।
✍ जिस घर की महिलाओं को पुरुष परेशान करते हैं, लड़ाई झगड़ा एवं मारते पीटते हैं उस घर से लक्ष्मी भाग जाती है, रूठ जाती है । महिलाओं को भी एक अच्छा परिवार उसके सौभाग्य और उसके कर्मों से मिलता है, मगर यदि गलत काम करें तो उसका भी धीरे-धीरे भाग्य खत्म होने लगता है । अगर महिलाऐं अपने सही चरित्र पर, सही रास्ते पर है, किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं करती है तो मां भगवती उसके साथ होती है । महिलाओं को अपने मर्यादा में रहनी चाहिए क्योंकि एक महिला से ही पूरा कुटुंब का भाग्य खुलता है ।
✍ हम महिलाओं को जो कुछ भी देते हैं, उसके बदले में वे हमें उससे ज्यादा लौटाती हैं । यदि हम उन्हें मकान दें, तो वे हमें घर देती हैं, अनाज दें, तो वे भोजन देती हैं, मुस्कराहट दें तो वे अपना दिल दे देती है । हम उन्हें जो कुछ भी दें, बदले में वे हमें कुछ ज्यादा ही लौटाती हैं, इसलिए यदि हम उन्हें कोई छोटी-मोटी तकलीफ देंते है तो हमें एक बहुत बड़ी मुसीबत के लिए तैयार रहना चाहिए ।  इसलिए…….
⭐महिला एक मां है उसकी पूजा करो,
⭐महिला एक बहन है उसका स्नेह करो,
⭐महिला एक भाभी है उसका आदर करो,
⭐महिला एक पत्नी है उससे प्रेम करो,
⭐महिला एक नारी है उसका सम्मान करो,
                महिला दिवस पर समर्पित,
               महिला दिवस की शुभकामनाएं

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