ईस्ट इंडिया टाइम्स समाचार संपादक
सैय्यद जमाल अली।
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश में मौसम तेजी से बदल रहा है। शनिवार को लखनऊ में अधिकतम तापमान 36.9 डिग्री और न्यूनतम 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। रविवार को कुछ इलाकों में बूंदाबांदी की संभावना है। सहारनपुर मुजफ्फरनगर आगरा समेत कई जिलों में ओलावृष्टि हो सकती है जबकि अन्य हिस्सों में 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं।
प्रदेश में मौसम का मिजाज बदल रहा है। शनिवार को राजधानी लखनऊ में अधिकतम तापमान 4.7 डिग्री सेल्सियस बढ़कर 36.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जबकि न्यूनतम तापमान भी पांच डिग्री बढ़कर 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
रविवार को मौसम विभाग के अनुसार लखनऊ के कुछ हिस्सों में बूंदाबांदी की संभावना है। अधिकतम तापमान 35 डिग्री और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। वहीं, प्रदेश के कुछ हिस्सों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। कुछ जिलों में ओलावृष्टि की आशंका जताई गई है।
इन जिलों में ओलावृष्टि की संभावना ।
आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, 16 मार्च की सुबह साढ़े आठ बजे तक सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, एटा, आगरा, फिरोजाबाद, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली और आसपास के इलाकों में ओलावृष्टि की आशंका है।
इटावा, औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुर, फर्रूखाबाद, बदायूं, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर और आसपास के क्षेत्रों में तेज हवाएं चलने की संभावना है, जिनकी गति 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है।
यहां वज्रपात की आशंका जताई है।
मौसम विभाग ने 17 मार्च सोमवार सुबह तक बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, फतेहपुर, बलरामपुर, श्रावस्ती, रायबरेली, उन्नाव और कई अन्य जिलों में वज्रपात की आशंका जताई है। लोगों को सावधानी बरतने और खुले स्थानों पर जाने से बचने की सलाह दी है।
तेज हवाओं और ओलावृष्टि की आशंका को देखते हुए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है। खेतों में पकी फसल को नुकसान से बचाने के लिए आवश्यक उपाय करने की सलाह दी गई है। वहीं, आम नागरिकों को भी बिजली गिरने और तेज हवाओं के दौरान सतर्क रहने की हिदायत दी गई है।
मौसम विज्ञानी डा. अतुल कुमार सिंह के अनुसार, इस साल मार्च के पहले पखवाड़े में वाराणसी, प्रयागराज, चुर्क (सोनभद्र), फुर्सतगंज (अमेठी) और लखनऊ में तापमान वर्ष 1991 के बाद सबसे अधिक दर्ज किया गया है। यह बदलाव जलवायु परिवर्तन और शुष्क हवाओं का परिणाम है।