आज से चैत्र नवरात्रि आरंभ वैदिक पंचांग और ज्योतिषाचार्य के अनुसार जानिए घटस्थापना शुभमुहूर्त, पूजा विधि और नियम

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ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेंद्र सिंह धुऑंधार

कन्नौज। सनातन धर्म में चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्र देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। मां दुर्गा की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 30 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी। यह पर्व हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि मनाया जाता है। इस दौरान जगत जननी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त चैत्र नवरात्र का व्रत रखा जाता है। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। चैत्र नवरात्र शुभ मुहूर्त वैदिक पंचांग के अनुसार और ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश कुमार पाण्डेय बहसुईया ठठिया के अनुसार शनिवार 29 मार्च को चैत्र अमावस्या है। इस दिन से ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। हालांकि, ग्रहण लगने और उदया तिथि गणना के चलते चैत्र नवरात्र की शुरुआत रविवार 30 मार्च से होगी। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी।
घटस्थापना का समय ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश कुमार पाण्डेय बहसुईया ठठिया और पंचांग गणना अनुसार, 30 मार्च को कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त है। 30 मार्च को घटस्थापना सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट के मध्य कर सकते हैं। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना के लिए शुभ समय है। अगर साधक किसी कारणवश सुबह के समय घटस्थापना नहीं कर पाते हैं, तो अभिजीत मुहूर्त में 12 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक कलश स्थापना कर सकते हैं। घटस्थापना शुभ योग चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इंद्र योग का संयोग शाम 04 बजकर 54 मिनट तक है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग है। इन योग में कलश स्थापना कर देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश कुमार पाण्डेय बहसुईया ठठिया के अनुसार कब न करें घटस्थापना। देवी पुराण में वर्णित है कि अमावस्या तिथि पर कलश स्थापना नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही सूर्योस्त के बाद भी कलश स्थापना न करें। किसी भी परिस्थिति में भी सूर्यास्त के बाद घटस्थापना न करें। ऐसा करने से देवी मां दुर्गा अप्रसन्न होती हैं। इसके लिए स्थानीय पंडित या ज्योतिष से सलाह लेकर ही घटस्थापना करें। देवी मंदिरों के साथ घरों में माता रानी की स्थापना कर नौ दिनों तक पूजा-पाठ का सिलसिला चलता रहेगा। गोधामाई वन मन्दिर गढ़िया पैथाना में श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव के अध्यक्ष सनोज यादव ने बताया कि 30 मार्च से सरस कथा वाचिका रोली शास्त्री के मुखारविंद से कथा प्रारम्भ होगी। और 7 अप्रैल को हवन व भण्डारा एवं गोधामाई वन मन्दिर गढ़िया पैथाना में विशाल मेला का आयोजन होगा।

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