वैद्य के० पी० सिंह शाक्य
कायमगंज/फर्रुखाबाद
1- पानी में गुड़ डालिए,बीत जाय जब रात।
सुबह छानकर पीजिए,अच्छे हों हालात।।
2- धनियां की पत्तीं मसल, बूंद नैन में डार।
दुखती अखियां ठीक हों,पर लांघें दो-चार।।
3- ऊर्जा मिलती है बहुत,पियें गुनगुना नीर।
कब्ज़ खत्म हो पेट की,मिट जाये हर पीर ।।
4- प्रातः काल पानी पिएं, घूंट – घूंट कर आप।
बस दो -तीन गिलास है,हर औषधि का बाप।।
5- अति ठण्डा द्रव्य पियो मत, करता क्रूर प्रहार।
करें हाजमा का सदा,यह तो बंटाढ़ार।।
6- भोजन करें सदा जमीन पर,अर्थी पर्वती मार।
चबा चबा कर खाए, वैद्य न झांके द्वार ।।
7- प्रातः काल फल रस लें , दोपहर लस्सी छाछ।
सदा रात को दूध पियें,सब रोगन सोफे नाश।।
8- प्रातः दोपहर लीजिए,जब नियमित आहार।
तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवे द्वार।।
9- भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार।
डाक्टर, ओझा, वैद्य का ,लुट जाए व्यापार।।
10- घूंट घूंट पानी पियो,रह तनाव से दूर।
एसिडिटी या मोटापा,होवे चकनाचूर।।
11- अर्थाराइज या हार्नियां,अपेंडैक्स का त्रास।
पीनी पीजै बैठकर, कभी न आसे पास।।
12- रक्तचाप बढ़ने लगे,तब मत सोचो भाय।
सौगंध प्रेम से खाय के, तुरन्त छोड़ दें चाय।।
13- सुबह खाइए कुंवर सा, दोपहर यथा नरेश।
भोजन न कीजै रात में, जैसे रंक सुरेश।।
14- देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल।
अपच आंख के रोग संग,तन भी रहे निढाल।।
15- दर्द,घाव, फोड़ा, चुभन, सूजन,चोट ,पिराय ।
बीस मिनट चुम्बक धरो, पिरवा जाय हिराया।
16- सत्तर रोगों को करे, चूना हमसे दूर।
दूर करे ये बांझपन, सुस्ती अपच हुजूर।।