नगर-निगम, विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण, जल निगम, जल संसथान, बुंदेलखंड विश्व विधालय में घोटालों के बाद, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय,में भी घोटालों की आंच l

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2025-06-09 | 18:53h
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2025-06-09 | 18:53h
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ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आकाश कुलश्रेष्ठ/

झांसी/नगर-निगम विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, जल निगम, जल संसथान, बुंदेलखंड विश्व विधालय में अनेकों घोटालों के बाद अब रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी में भी घोटालों की आंच आने लगी है l
रानी लक्ष्मी-बाई केंद्रीय कृषि विश्व-विद्यालय, में खरीद विभाग द्वारा GEM निविदाओ में कदाचार,पक्षपात और भारत-सरकार के साइबर सुरक्षा और एम.आई.आई. दिशा-निर्देशों की अनदेखी देखने में आ रही है, रानी लक्ष्मी-बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, में वरिष्ठ कंप्यूटर प्रोग्रामर के माध्यम से रानी-लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्व-विद्यालय के खरीद-विभाग द्वारा हाल ही में की गई GEM निविदा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं, कदाचार और पक्षपातपूर्ण आचरण अपनाया गया है।
लैपटॉप खरीद के मामले में प्रस्ताव के अनुसार बिना किसी स्पष्ट औचित्य के खारिज की जा रही एवं अपने मन से अपनी नजदीकी ठेकेदार को निविदा दी जा रही है भले ही वह कम्पनी तकनीकी रूप से अनुपालन करने वाली और भारत- सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने वाली हो या न हो l
कई मुद्दों पर घोटालों की आंच सुलगती महसूस हो रही जो कि निम्न हैं:
1.साइबर सुरक्षा से समझौता,भारत सरकार के साइबर सुरक्षा खरीद दिशा-निर्देशों का उल्लंघन: बोली में चयनित उत्पाद भारत-सरकार द्वारा निर्धारित साइबर-सुरक्षा मानदंडों और खरीद निर्देशों का अनुपालन न करके
MEITY अधि-सूचना जो साइबर सुरक्षा उत्पादों और अन्य संबंधित भारत-सरकार विभागों के लिए सार्वजनिक खरीद (MII के लिए वरीयता) आदेश 2019 को दिशा-निर्देशों के संदर्भों के बावजूद , खरीद टीम द्वारा तकनीकी रूप से गैर-अनुपालन वाले उत्पाद को ख़रीदा जा रहा है, जिसका भारत में कोई कार्यालय या विनिर्माण सुविधा भी नहीं है, जान- बूझकर लालच के लिए विश्वविद्यालय की साइबर सुरक्षा से समझौता किया गया ।

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2.रानी लक्ष्मी बाई कृषि विश्वविधालय द्वारा पूर्वाग्रह और पारदर्शिता के अभाव में दुर्भावना-पूर्ण इरादे से दिशा-निर्देशों की अनदेखी करते हुए GeM पर कस्टम मोड में बोली लगाकर नियम के विरुद्ध एंटीवायरस की अतिरिक्त आवश्यकता डाल दी गई ताकि बोली दाताओं को आसानी से अयोग्य घोषित किया जा सके और उनके पसंदीदा विक्रेता को तकनीकी रूप से योग्य घोषित किया जा सके और उच्च लागत पर तकनीकी रूप से अनुपयुक्त उत्पाद की खरीद हो l

खासकर कई प्रतिभागियों में से 2 योग्य बोली दाताओं ने HP लैपटॉप 240G9 की पेशकश की है जो तकनीकी रूप से अनुपयुक्त है, क्योंकि इसमें कार्ड रीडर नहीं है जो निविदा की अतिरिक्त नियम व शर्तो में आवश्यक तकनीकी निर्देश को दरकिनार करते हुए विदेशी कम्पनी को टेंडर दिया गया ।
वहीँ कम बोली दाता की बोली को अस्वीकार करते हुए रजिस्ट्रार द्वारा अस्वीकार कर दिया गया।
3.मेक-इन-इंडिया (MII) दिशा-निर्देशों की अवहेलना: चयनित बिट डिफेंडर OEM का उत्पाद मेक-इन-इंडिया पहल के तहत मानदंडों को पूरा नहीं करता है, जिसके अनुसार घरेलू स्तर पर निर्मित वस्तुओं को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि भारत में इसकी कोई ऑपरेटिव विनिर्माण सुविधा और पंजीकृत कार्यालय नहीं है। फिर भी विदेशी कम्पनी को टेंडर दिया गया l
4.बोली में हेर-फेर कर वरिष्ठ कंप्यूटर प्रोग्रामर और अज्ञात सहयोगियों की सांठ-गांठ द्वारा बोली के निर्धारित विनिर्देशों और शर्तों में हेरफेर और घोर अवहेलना द्वारा अनैतिक निविदाओ के द्वारा हेरफेर करके यूनिवर्सिटी वेबसाइट निविदा में भी गड़बड़ी की गई । जब RLBCAU में वरिष्ठ कंप्यूटर प्रोग्रामर उपलब्ध है, तो पैसे की बर्बादी करके निविदा निकाल कर बाहरी कंपनी को पेमेंट करकर वेबसाइट को डिज़ाइन और होस्ट कराया गया जब यह काम वरिष्ठ कंप्यूटर प्रोग्रामर का होता है तो 50,हज़ार रुपए से 60 ,हज़ार रुपए वाली वेव साइट के लिए 7 ,लाख रुपए का बिल का भुगतान किया गया।
5 . 50 हज़ार रुपए/- कीमत के लैपटॉप कंप्यूटर (जो कि विश्व विधालय के लिए उपयुक्त थे) के लिए
70 ,हज़ार रुपए के कीमत वाले कंप्यूटर की खरीद के लिए अनुमति दे दी गई।

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