गम और सब्र के इस महीने से कर्बला युद्ध का इतिहास जुड़ा है
ईस्ट इंडिया टाइम्स ब्यूरो चीफ आमिर हुसैन
उत्तराखंड
बाजपुर/ उधमसिंह नगर: मुंडिया पिस्तौर कनौरा कनौरी मंजरा बख्श मुंडिया कला गांव बाजपुर रमपुरा शाकर हरलाल पुर महेशपुरा सीता कालोनी केशो बाला आदि जगह के तजिये कर्बला मैदान गांव बाजपुर में पहुंचे और जनता ने मेले का आनंद लिया सब कुछ शांतिपूर्ण रहा। यहां बताते चले मुहर्रम के 10 वें दिन ताजिया जुलूस निकाला जाता है. ताजिया इमाम हुसैन के कब्र का एक प्रतीक है. इमाम हुसैन का मकबरा यानी रोजा-ए मुबारक जो इराक देश के कर्बला में स्थित है।ताजिया पैगंबर मोहम्मद साहब के वारिस इमाम हुसैन के शोक का प्रतीक है.जिसे पूरे शिद्दत के साथ सभी अल्लाह के बंदे इसे बनाते हैं.मोहर्रम के दिन हर मुस्लिम मोहल्ले से अखाड़ा निकाला जाता है.मोहर्रम में ताजिया का खास महत्व माना गया है,।क्योंकि ताजिया शोक का प्रतीक है।मुहर्रम का महीना मुस्लिम समुदाय में सबसे खास माना जाता है. ये इस्लाम के चार पवित्र महीनों में से एक है.मुहर्रम का 10वां दिन यानी आशूरा वो दिन है जो कर्बला की उस दुखद कहानी को याद दिलाता है. 6 जुलाई रोज-ए-आशुरा, मुहर्रम का 10वां दिन आज मनाया जा रहा है. कर्बला में हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार ने सच और इंसाफ के लिए अपनी जान आज के दिन ही कुर्बान की थी. कर्बला में शहादत पाने वाले 6 महीने हजरत अली असगर की कहानी भी कुछ ऐसी जो आंखों में आंसू ला दे। इस मौके पर कदीर अहमद,शमशीर अहमद, परवेज अली,साबिर हुसैन, गुलवेज खान आजाद,सादिक हुसैन,कौसर अली, यासीन प्रधान,अली मुर्तजा, अमीर अहमद,उस्मान अली, लियाकत अली,कय्यूम अली, नसीब प्रधान,वसीम,पप्पू, जावेद अली,वाजिद अली साहित अन्य लोग उपस्थित रहे।