भगवान का इस धरा पर अवतरण संतों की रक्षा एवं दुष्टो के विनाश के लिए ही होता है- जगत गुरु राधा मोहन शरण देवाचार्य

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ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान
कायमगंज / फर्रुखाबाद
कायमगंज नगर के सीपी सभागार में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में प्रवक्ता जगत गुरु राधा मोहन शरण देवाचार्य जी ने बताया कि जीव किसी भी योनि में चला जाए उसके द्वारा पूर्व जन्म में किए गए कर्म कभी समाप्त नहीं होते हैं। प्रारणध के रूप में उसके सामने आते हैं जैसे कि गजेंद्र। हाथी के योनि में होने पर भी पूर्व कृत सुक्रत उसके सामने आया और वो भगवान की स्तुति के द्वारा परम मोक्ष को प्राप्त किया। बलि बावन प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कोई क्यों न हो जब वो किसी के सामने मांगने के लिए हाथ फैलता हो तो उसे छोटा बनना ही पड़ता है जैसे भगवान राजा बलि के यहां गए तो उनको भी छोटा बनकर ही याचना करनी पड़ी। बलि ने भी अपनी महान उदारता का परिचय देते तीन भूमि के माध्यम से संपूर्ण राज्य बावन को प्रदान किया। बलि की उदारता के कारण भगवान बलि के द्वारपाल तक बने। नंदोत्सव पर व्याख्यान देते हुए बताया कि भगवान का इस धरा पर अवतरण संतों की रक्षा एवं दुष्टो के विनाश के लिए ही होता है। धर्म की रक्षा अधर्म का विनाश। विनाश भी भगवान के अवतरण में हेतु माने गए हैं। नंदोत्सव के अवसर पर श्रोतागण आनंद विभोर होकर नृत्य गायन का आनंद लेते हुए झूम उठे। इस अवसर पर सत्य प्रकाश अग्रवाल, डाo मिथिलेश अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण, अग्रवाल मोनिका अग्रवाल, के सी दीक्षित, एवं महेश चंद्र गुप्ता, मुकेश अग्निहोत्री, अरविंद अग्रवाल, मंजू अग्रवाल,रजनी गोयल, मुन्नालाल गुप्ता, डॉक्टर सुभाष गुप्ता आदि गणमान्य लोक उपस्थित रहे।

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