जिस प्रकार जल और तरंग में अभेद है उसी प्रकार गोपियों में और श्री कृष्णा में अभेध है- जगद गुरु राधा मोहन शरण देवाचार्य

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ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल
अमान
कायमगंज / फर्रुखाबाद
कायमगंज नगर के सीपी सभागार में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा का वाचन करते हुए कथा प्रवक्ता जगत गुरु निम्वर्का चार्य पीठाधीश्वर स्वभू राम द्वारा चार्य श्री राधा मोहन शरण देवाचार्य जी ने रास लीला पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जिस प्रकार जल और तरंग में अभेद है अग्नि उष्ठाता में अभेद है उसी प्रकार गोपियों में और कृष्ण में अभेद है। जिस प्रकार जीव के वृद्धि की कृतियां है उसी प्रकार गोपिया श्री कृष्णा अंतरंगा है। महारास के समय श्री कृष्ण की आयु 7 वर्ष की थी। सात वर्ष में काम विकार का उदय नहीं होता है। इसलिए रास का प्रकरण काम का प्रकरण नहीं है। यह तो काम विजय की लीला है। उद्रय और गोपियों के संवाद का मार्मिक वर्णन करते हुए बताया कि गोपियों का श्री कृष्णा प्रिय अतुलनीय है। उनका प्रेम तत् सुखित्व के भाव से परिपूर्ण था। तभी तो कुल 12 किलोमीटर दूर होने पर गोपिया श्री कृष्ण से मिलने नहीं गई कि हमारे जाने से कहीं उन्हें संकोच न हो। श्री कृष्ण रुक्मिणी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कृष्ण रुक्मिणी परत्पर है। इनका संबंध शाश्वत है। इस जगत में उनके विवाह का दिग्दर्शन मात्र चत्यचित्र के सामान दिखाऊ है वर्ना ये तो अनादि दंपति है। इस अवसर पर यजमान सत्य प्रकाश अग्रवाल, डाo मिथिलेश अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल मोनिका अग्रवाल,के सी दीक्षित, मुन्ना लाल गुप्ता,मुकेश अग्निहोत्री, शंभू शरण अग्रवाल, अनिल अग्रवाल आदि श्रोतागणों ने कथा का आनंद लिया।

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