संकिसा बुद्ध स्तूप पर हवन किये जाने से बौद्धों में रोष

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2024-10-14 | 06:59h
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ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट मनोज जौहरी।फर्रुखाबाद।सनातन धर्मियों द्वारा संकिसा स्थित भगवान बुद्ध के स्तूप पर हवन पूजन किये जाने पर रोष व्याप्त हो गया है। बीते दिन संकिसा निवासी भाजपा नेता अतुल दीक्षित कई समर्थकों के साथ स्तूप के ऊपर पहुंचे। जिन्होंने कथित बिसारी देवी मंदिर के सामने स्तूप पर काफी समय तक हवन पूजन किया और बिसारी देवी के जयकारे लगाए। मालूम हो कि अतुल दीक्षित स्वयं को मां बिसारी देवी सेवा समिति का अध्यक्ष प्रदर्शित करते हैं। आज स्तूप पर हवन पूजन की खबर अखबार में देखकर बौद्ध अनुयायियों में जबरदस्त रोष व्याप्त हो गया। संकिसा स्थित धम्मालोको बुद्ध विहार सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष कर्मवीर शाक्य ने भगवान बुद्ध के पवित्र स्तूप पर हवन पूजन किया जाने की घोर निंदा की है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्मियों ने न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने के साथ ही पुलिस प्रशासन के भी नियमों का खुला उल्लंघन किया है। प्रशासन द्वारा तय किए गए नियमों में इस हवन पूजन कार्य का कोई उल्लेख नहीं है। श्री शाक्य ने बताया बीते दशकों पूर्व अराजक तत्वों ने स्तूप के ऊपर खंडित मूर्तियां रख दी थी।सनातन धर्मी स्तूप पर कब्जा करने की नियत से मूर्ति को बिसारी देवी बताकर महोत्सव के दौरान पूजा करते हैं। सनातन धर्म के देवियों में बिसारी देवी का नाम नहीं सुना गया। भगवान बुद्ध का स्तूप पुरातत्व विभाग की जमीन पर स्थित है स्तूप के ऊपर किसी भी मूर्ति का होना अतिक्रमण है। श्री शाक्य ने जिला प्रशासन से बुद्ध के स्तूप पर हवन पूजन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के साथ ही भविष्य में ऐसी परंपरा पर रोक लगाई जाने की मांग की है।6 माह में बौद्ध स्तूप व बिसारी देवी मंदिर मुकदमे का हो सकता है निपटारासंकिसा मुक्ति संघर्ष समिति के संयोजक कर्मवीर शाक्य ने अदालत के द्वारा संकिसा बौद्ध स्तूप पर स्थापित बिसारी देवी के विवाद को निपटाने की पहल की है। श्री शाक्य ने फतेहगढ़ के सिविल जज सीनियर डिवीजन हवाली न्यायालय में विचाराधीन श्री बिसारी देवी बनाम भारत सरकार और अन्य के मुकदमे के संबंध में इलाहाबाद न्यायालय में याचिका दायर की। माननीय न्यायाधीश नीरज तिवारी की अदालत ने 6 माह के अंदर मुकदमे के निस्तारण करने का आदेश दिया है।सिविल जज (जे.डी.), हवाली, फर्रुखाबाद के विद्वान न्यायालय को आदेश या निर्देश जारी कर 1994 के मूल वाद संख्या 572 (श्री बिसारी देवी विराजमान मंदिर और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य) की कार्यवाही समाप्त करने का निर्देश दें। अन्य) सिविल न्यायाधीश (जे.डी.), हवेली, फर्रुखाबाद के विद्वान न्यायालय के समक्ष लंबित स्थायी निषेधात्मक निषेधाज्ञा के लिए, इस माननीय न्यायालय द्वारा तय की गई निर्धारित अवधि के भीतर शीघ्रता से। याचिकाकर्ता के विद्वान वकील ने प्रस्तुत किया कि उपरोक्त मुकदमा 1994 से लंबित है।इसलिए, सिविल जज (जे.डी.) हवाली, फर्रुखाबाद को जल्द से जल्द निर्णय लेने का निर्देश जारी किया जा सकता है। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान याचिका का निपटारा सिविल जज (जे.डी.), हवाली, फर्रुखाबाद को यह निर्देश देते हुए किया जाता है कि वे मूल वाद संख्या 572/1994 को कानून के अनुसार, अधिकतम छह महीने की अवधि के भीतर तय करें। सभी संबंधितों को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद और किसी भी पक्ष को कोई अनावश्यक स्थगन दिए बिना, यदि कोई कानूनी बाधा नहीं है, तो इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तिथि से।यदि स्थगन दिया जाता है, तो न्यायालय स्थगन के कारणों को दर्ज करेगा और यदि आवश्यक हुआ तो जुर्माना भी लगा सकता है।विचाराधीन मुकदमे का विवरणन्यायालय व्यवहार न्यायाधीश फतेहगढ़ मूल वाद सं०:- 572/19941- श्री विसारीदेवी विराजमान मन्दिर श्री बिसारी देवी सकिसा बसंतपुर, तहसील सदर जिला फर्रुखाबाद द्वारा दण्डी स्वामी परमानन्द सरस्वती शिव मंदिर रानी घाट फतेहगढ।2:- दंडी स्वामी परमानन्द सरस्वती शिशु मंदिर रानी घाट फतेहगढ़, जिनका पूर्व पता गणेशचन्द्र दीक्षित पुत्र स्व० रामस्वरूप दीक्षित निवासी ग्राम संकिसा बसंतपुर, तहसील सदर जिला फर्रुखाबाद।प्रति1:- भारत सरकार द्वारा महानिदेशक पुरातत्व विभाग नई दिल्ली।2:- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिलाधिकारी फर्रुखाबाद ।3:- सेक्रेटरी महीषी सोसायटी आफ इण्डिया कलकत्ता।4:- बौद्ध विकास परिषद द्वारा महासचिव मुंशीलाल शाक्य अलीगंज एटा।5:- संकिसा मुक्ति संघर्ष समिति द्वारा कामरेड कर्मवीर शाक्य, कायमगंज, फर्रुखाबाद।6:- बुद्ध भिक्षु भंन्ते धम्मा लोको, पर्यटक गृह संकिसा जिला फर्रुखाबाद।प्रतिवादीगणवादीगण निम्नलिखित निवेदन करते है:-1:- यह कि वादी सं०। अति प्राचीन सनातन धर्म, धर्मावलम्बियों धर्म की मान्य देवी है। जो संकिसा बसंतपुर में स्थिति मंदिर में विराजमान है, तथा जिनकी पूजा अर्चना सनातन धर्म विधि अनुसार, होती वर्षों से चली आ रही है। तथा जो स्थानीय क्षेत्र एवं आस पास के क्षेत्र तथा अन्य जनपदों के निवासीगण द्वारा श्रद्धा एवं भक्ति से विख्यात है।2:- यह कि अन्य सनातन धर्मी मंदिरों की भांति ही वादी सं०1 के मंदिर में क्षेत्रीय भक्तो की आस्था के अनुसार अनेकों सनातन धर्मी देवी देवताओं की मूर्तियां भी इस मंदिर में रहती है। तथा कतिपय ऐसे चिन्ह भी विद्यमान है, जो मूर्ति भक्तो द्वारा अर्थात आदिवासी व्यक्तियों द्वारा अवैध प्रकार से खंण्डित किये गये मूर्तियों के अवशेष होना इंगित करते है।3:- यह कि वादी सं०1 के मंदिर में वर्तमान पुजारी महंत बाबा गिरि महाराज है जो मंदिर परिसर में ही रहते है, तथा ब्राह्मण समाज के अन्य पुजारी इस मंदिर में पूजा अर्चना से करते रहे तथा भजन कीर्तन भागवत कथा आदि की व्यवस्था होती रही।4:- यह कि वादी संस्था 1 का उपरोक्त मन्दिर कभी बौद्धो का स्थल नहीं रहा तथा बौद्धो की संख्या भी अति न्यून रही।5:- यह कि प्रतिवादीगण विषेशतया प्रतिवादी सं०3 लगायत 6 इस प्रयास में है, कि उपरोक्त मंदिर को ध्वस्त करके तथा उसमे से वादी के अस्तित्व को समाप्त करके बौद्ध स्थल स्थापित कर दे, इस कुचेष्टा से गम्भीर अशान्ति क्षेत्र में उत्पन्न हो जाने की आशंका है।6:- यह कि प्रतिवादी सं०३ लगायत 6 प्रतिवादी सं०1 तथा 2 को असत्य सूचनाएं बगैरह देकर सहयोग प्राप्त करना चाहते है तथा वादी के अस्तित्व को समाप्त करने तथा भक्ति के इस स्थल को हथिया लेने हेतु प्रति बद्ध है। प्रतिवादी संख्या। व 2 के अधिकारीगण वादीगण द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्यों पर विचार करने हेतु तत्पर नहीं है।कर्मवीर शाक्य ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मुकदमे की सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर की तिथि निश्चित है। प्रति सप्ताह 1- 2 तारीखें लग रही है। मुकदमे का निर्णय शीघ्र ही हो जाने की उम्मीद है।

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