छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण है पर्व ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान

schedule
2024-11-07 | 17:27h
update
2024-11-07 | 17:27h
person
Jamal Ali Khan
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eastindiatimes.in

कायमगंज फर्रुखाबाद छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो विशेष रूप से पूर्वी भारत, खासकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रो में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और इसमें सूर्य भगवान की उपासना की जाती है। जो जीव, ऊर्जा और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य है। सूर्य भगवान को जल अर्पित कर परिवार की सुख समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना। छठ पूजा का महत्व और इतिहास है कि छठ पूजा का उल्लेख पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथो में भी मिलता है। कहां जाता है कि इस पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी, जब द्रौपदी और पांडवों ने अपनी कठिनाइयों से मुक्ति पाने और राज्य में सुख समृद्धि के लिए सूर्य भगवान की आराधना की थी। इसके अलावा यह भी मानता है कि छठ पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्री देवी षष्ठी माता के प्रति श्रद्धा अर्पित करने से हुई थी। षष्ठी माता को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। और इसलिए महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुखद भविष्य के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। छठ पूजा का चार दिवसीय कार्यक्रम रहता है।यह चार दिवसीय अनुष्ठान कठिन नियमों और विधियों के साथ संपन्न होता है। जिसमें व्रत रखने वाले भक्त पूरी पवित्रता और श्रद्धा के साथ इस पूजा में भाग लेते हैं। इसमें प्रथम दिन ‘नहाय-खाय’ के साथ पूजा की शुरुआत होती है, जिसमें व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर शुद्ध भोजन का सेवन करते हैं। इसके बाद दूसरे दिन ‘खरना’ मनाया जाता है। जिसमें दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को व्रती गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास भी शुरू हो जाता है। तीसरे दिन ‘संध्या अर्ध्य’का विशेष महत्व होता है। इस दिन शाम के समय व्रती अपने परिवार के साथ नदी,तालाब या किसी जलाशय में खड़े होकर डूबते सूर्य कोअर्ध्य अर्पित करते हैं। यह एक अत्यंत भावुक और भक्तिमय दृश्य होता है। जहां व्रती अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। अंतिम दिन चौथे दिन ‘प्रातः कालीन अर्ध्य’ के साथ उगते सूर्य को अर्ध्य देने का अनुष्ठान संपन्न होता है। इसके बाद व्रती पारण कर अपना व्रत समाप्त करते हैं। छठ पूजा के दौरान लोग प्रकृति के समीप रहते हैं। और इसके महत्व को समझते हैं। सूर्य की उपासना के साथ ही लोग जलाशयों की सफाई का भी ध्यान रखते हैं। इस पर्व के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और जल स्रोतों की स्वच्छता का भी सन्देश दिया जाता है।

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