ईस्ट इंडिया टाइम्स एस पी कुशवाहा।
देवरिया।
जनपद के माने जाने शिक्षाविद् कृषक इन्टरमीडिएट कालेज विशुनपुर कला के संस्थापक प्रधानाचार्य और पूर्व प्रबन्धक कृष्णदेव त्रिपाठी “दाढ़ी बाबा” के निधन पर सभा द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। जिसमें श्री त्रिपाठी के व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए कवि दयाशंकर कुशवाहा ने कहा त्रिपाठी जी के अन्दर एक कोमल रहता था जो उन्हें सबकी समस्याओं को सुनने और सुलझाने के लिए प्रेरित करता था। वे कर्मठ संयमी और मानवीय गुणों से ओतप्रोत कुशल प्रशाशक थे। उनका जाना विद्यालय और समाज की अपूरणीय क्षति है। आगे इन्द्र कुमार दीक्षित ने कहा व्यक्ति चला जाता है और अपने कार्यों के बदौलत यश और कीर्ति छोड़ जाता है। वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे, बराबर चिंतन में लगे रहते मैं उनको अपने श्रद्धासुमन करता हूं। जितेन्द्र तिवारी ने त्रिपाठी जी के बारे में कहा कि वे चलते फिरते आदर्श पुरुष थे। श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए डॉ दिवाकर प्रसाद तिवारी ने कहा वे लोग सौभाग्य शाली है जिन्हें के डी त्रिपाठी जी के सान्निध्य में कार्य करने का अवसर मिला। त्रिपाठी जी सरल सहज और करुणा से आप्लावित थे। उनकी संकल्प संकल्प शक्ति प्रबल और दृढ़ थी। अगर हम उनका कोई विकल्प दे सकें तो यह उनके उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। सभा के मंत्री डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी ने त्रिपाठी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा त्रिपाठी जी से मेरा पारिवारिक संबंध रहा है। उनसा दृढ़ निश्चयी व्यक्ति मिलना मुश्किल है। वे अपने व्यक्तित्व से सहज ही सबको प्रभावित करते थे। उनका जाना हम अपनी व्यक्तिगत क्षति समझते हैं। सभा के अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा त्रिपाठी जी एक जिम्मेदार प्रधानाचार्य थे। वे विनम्र और प्रकृति प्रेमी व्यक्ति रहे, उनके क्षेत्र के लोग उनका सम्मान करते थे। उनका निधन हमें दुखी कर गया। सौदागर सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किया। श्रद्धांजलि सभा में अवधेश सिंह, दिनेश त्रिपाठी, डॉ अभय कुमार द्विवेदी, रमेश चन्द्र त्रिपाठी, दिनेश कुमार त्रिपाठी, जितेन्द्र तिवारी, ब्रजेश पाण्डेय अधिवक्ता, अभिषेक पाण्डेय ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर विजय भारत सिंह, गोरखनाथ गुप्त, अवधेश सिंह, वासुदेव वर्मा, सरोज कुमार पाण्डेय आदि गणमान्य उपस्थित रहे।