खोए हुए हम खुद है और खोज रहे है भगवान को,सोए हुए हम खुद है और जगा रहे भगवान को।

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Jamal Ali Khan
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न्यूज़
एडिटर
की कलम से

सैय्यद जमाल अली।

हिन्दुस्तान की सियासत में अल्लाह और भगवान को चुनौती किस लिए इसमें इनका क्या है दोष देख तेरे संसार मानव की कितनी बदल गई है सोच ।
हमें अपना तो कुछ पता नहीं और परमात्मा का पता करना चाहते है,यही विडम्बना है हमारी हम सब कुछ जानकर भी अनजान बनते रहे हैं। सामने पड़े पत्थर को जानते नहीं और विराट में समाये प्रभु को पाने चले हैl प्रार्थना की जरूरत हमें है,उससे हमारे भीतर शक्ति जगती हैl परमात्मा को हमारी प्रार्थना की आवश्यकता नहीं है l परमात्मा हमारे भीतर है,किसी मूर्ति में छिपा हुआ नहीं हैl खुद को तराशने की आवश्यकता हैl मूर्ति पूजा उसमे सहायक हो सकती है यदि पूजा समझ के की जाय, पूजा ,इबादत ,दोनों सिक्के के पहलू हैं,एक तरफ पूजा है दूसरी तरफ इबादत है अब आप खुद बताएं कौन सही और कौन गलत हमें दोनों ही एक समान लगते हैं।
किसी ने कहा है
कर्म कांड में डूबा हुआ व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकता हैlअपने को स्वीकार कर इस क्षण जीने में ही उपलब्धी हैl वर्तमान में जीना ही परम जीवन को पाना है,परमात्मा को उपलब्ध होना हैl जीवन अन्यत्र कहीं नहीं ,जीवन अभी और यही हैl
वह जो यह पूंछ रहा है भगवान, अल्लाह खुदा कौन है। अर्थात जो बोलनहार बनकर खोजता फिर रहा है। जो आत्मस्वरुप व नाम बोलनहार का है वही स्वरूप नाम खुदा अल्लाह का है। उस अवस्था का भेद जानकर प्राप्त कर लो। सिम्पल सी बात है। यदी आपका मुख अपने घर से विपरीत हो गया तो आप अपने घर को कभी वापिस नहीं आ पाओगे। नया घर बनाकर पिछला असली घर भुल जाओगे। जीव के साथ यही हो रहा है भाई। विचार करो दोस्तों। क्या आप जबतक अपना मुख अपने घर की तरफ नहीं करोगे तबतक क्या आप अपने घर वापसी कर सकते हैं चाहे कोई भी कर्म क्रिया जप तप पूजा पाठ योग समाधी ज्ञान उपवास विश्वास श्रद्धा आदी करते रहो
और भूले रास्ते पर मुख तब होगा जब आप उस घर मार्ग का पूर्ण सत्य भेद जान लोगे । क्या पाखंड करने से किसी चीज का भेद जाना जा सकता है विचार करो निष्पक्षतापुर्वक।
आपने केवल सत्य का पक्ष लेना है चाहे वह किसी भी द्वारा रखा हो। प्रमाण व नाम का नही। प्रमाण व नाम रुप झुठे होते हैं। इसलिये आप भगवान अवस्था से दूर होते जा रहे हैं। भारत देश व सनातन ज्ञान में भगवान को सर्वोपरि रखा जाता है। क्योंकि यह ब्रह्मांड की सुपर अवस्था है प्राप्त करने की। इसलिये भारत विश्व गुरु अर्थात ब्रह्मांड गुरु कहलाता है, था और रहेगा।
परन्तु भारत के लोग ही गरीब बने हुए हैं पास अनमोल सुपर अवस्था होते हुए भी क्योंकि भेद पता नहीं है उसका। अज्ञानी जीव अपनी गठरी खोलकर नहीं देखता बल्कि दुसरे की गठरी में कितना माल है यह देखता है इसलिये असहाय बना हुआ है। जो दुसरे की गठरी में है भाई वही आपके पास भी है। केवल पहचान नहीं है हीरे व काचं की। अर्थात आप हीरे से निकली रौशनी को भगवान मान रहे हैं दिक्कत ये है। जबकि हीरा स्वयं की रौशनी से ही चमक रहा है अर्थात जो भी काल्पनिक प्रकाश उस पर पड़ता है वह उसे लौटा देता है। इसलिये हीरा है। वर्ना रौशनी को काचं भी लौटा देता है। इसलिये आप असली हीरे व काचं को पहचानने में असमर्थ बने हुए हैं। काचं को अपना घर मान रहे हैं। इसी प्रकार नकली भगवान अवस्था नाम रुप को असली मान रहे हैं। असली पास होते हुए भी। असली व नकली दोनों आपके पास है। भेद रुप नाम जानकर आसानी से प्राप्त करो भाई जी कहीं भी भटकने की जरुरत नहीं है आपको। ना थाने में ना कचहरी में ना अदालत में। इसलिये अपना पुर्ण भेद जान ने के लिए बोला जाता है। कि भगवान आपके अदंर है। मन शरीर ब्रह्मांड तत्व गुण में नहीं।

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जय हिंद
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा।

लेखक।
समाचार संपादक
सैय्यद जमाल अली।

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