ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान

कायमगंज/फर्रुखाबाद
कायमगंज-अचरा मार्ग स्थित सत्तारनगर गांव के पास 29 डिसमिल भूमि को लेकर शुक्रवार को भी जमकर बवाल हुआ। कोर्ट के आदेश पर कब्जा दिलाए जाने के बाद भी ग्रामीण विरोध पर अड़े रहे। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की भारी भीड़ लाठी-डंडों के साथ मौके पर पहुंच गई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
4 मार्च को प्रशासन ने बरझाला गांव के पूर्व जिला पंचायत सदस्य संतोष दिवाकर को पुलिस की मौजूदगी में भूखंड का कब्जा दिलाया था। नींव खुदाई के दौरान ही ग्रामीणों ने विरोध जताते हुए इसे श्मशान भूमि बताया था। प्रशासन ने विरोध शांत कराते हुए काम शुरू कराया, लेकिन अगले ही दिन 5 मार्च को नींव वाली जगह से शिशु अवशेष मिलने से मामला तूल पकड़ गया था। इनायतनगर, झब्बूपुर, लटूरनगर, पितौरा, सुभानपुर और सत्तारनगर के ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा हो गई और जमीन को श्मशान बताते हुए कब्जे का विरोध करने लगी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शिशु अवशेष को पास में दूसरी जगह दफन कराकर दो दिन के लिए काम रुकवा दिया। शुक्रवार को संतोष दिवाकर राजमिस्त्री और मजदूरों को लेकर नींव भरने पहुंचे, तो आधा दर्जन गांवों के सैकड़ों लोग लाठी-डंडों के साथ पहुंच गए। माहौल बिगड़ता देख मजदूर और पूर्व जिला पंचायत सदस्य मौके से भाग खड़े हुए। मामले की जानकारी होते ही प्रभारी निरीक्षक अनुराग मिश्रा, इंस्पेक्टर लाइन आर्डर राजेश सिंह और मंडी चौकी प्रभारी अवधेश कुमार पुलिस बल के साथ पहुंचे और उच्चाधिकारियों को सूचना दी। इसी बीच महिलाओं ने वहां पड़े ईंटें तोड़कर नींव में भरनी शुरू कर दी और निर्माण सामग्री इधर-उधर फैला दी। तहसीलदार विक्रम सिंह चाहर और सीओ संजय वर्मा ने मौके पर पहुंचकर समझाने की कोशिश की, लेकिन जब एक महिला को पुलिस ले जाने लगी, तो भीड़ उग्र हो गई और पुलिस को बैकफुट पर आना पड़ा।
पुलिस के जाने के बाद भी भीड़ ने फिर से भूखंड पर जाकर कच्चा माल नींव में भर दिया। प्रभारी निरीक्षक अनुराग मिश्रा ने बताया कि ग्रामीण कोर्ट के आदेश के बावजूद विरोध कर रहे हैं, जो न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है। जांच की जा रही है।

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