ग़रीबों मिस्कीनों की मदद करने का जज़बा देता है रमज़ान
ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान

कायमगंज/फर्रुखाबाद
आस्ताना आलिया हज़रत बाबा जूही शाह रहमतुल्लाह पर 15 वें रोज़ा इफ़्तार के मौके पर सज्जादानशीन सूफ़ी हज़रत मुशीर अहमद क़ादरी चिश्ती वारसी ने रमज़ान के रोजो़ की फ़ज़ीलत के बारे में बताया कि बेशक रमज़ान की फ़ज़ीलत तमाम महीनो से ज्यादा है, रमजानुल मुबारक की हर रात, हर दिन, हर लम्हा और सारा महीना खुसूसियात का है। मगर इसमे खास यह है कि इस महीने में कुरआन शरीफ नाजिल हुआ
है की अल्लाह पाक ने माहे रमजान में रोजा रखने का हुक्म दिया जिससे की मुसलमानों को गरीबी और तंगदस्ती में और भूक-प्यास से बिलखते इंसानों के दर्द व गम का एहसास हो जाए,
दिल व दिमाग में जरूरतमंद मुसलामनों की कैफियत का जज्बा पैदा हो जाए और खुसूसी तौर पर मुसलमान रमजान की इबादत की बदौलत खुद को पहले से ज्यादा अल्लाह तआला के करीब महसूस करता है।
गरज कि महीने भर की इस मेहनत का मकसदे खास भी यही है कि मुसलमान साल भर के बाकी ग्यारह महीने भी अल्लाह तआला से डरते हुए जिंदगी गुजारे,
जिक्र व फिक्र, इबादत व रियाजत, कुरआन की तिलावत और यादे इलाही में खुद को मसरूफ रखे इस मौके पर आसताना सदर जनाब मसूद खाँ साहब,ज़मीर अहमद,बब्लू भाई,हरिओम,औरंगज़ेब,खलील भाई,सनी बाथम,अंशुल गंगवार,सलीम खाँ,कामरान खान,बंटी,अख़लाक प्रधान भुकसी,हाफ़िज़ आज़म,हाफ़िज़ रिफ़त,तौहीद अहमद,शमशाद,राशिद खान,कौसर खान,आदिल अमान,छोटे खान,बाबू खान,नीलू,राहुल सागर, आदि ने इफ्तार में शिरकत की।


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