ईस्ट इंडिया टाइम्स एस पी कुशवाहा

देवरिया जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि लीची की बागवानी के लिए गहरी, उपजाऊ और अच्छे जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सर्वश्रेष्ठ होती है। मिट्टी का पीएच मान 7.5 से 8 के बीच होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि खेत की तैयारी के लिए दो बार तिरछी जुताई करने के बाद उसे समतल करना आवश्यक है, ताकि पानी का ठहराव न हो। पौधों की बिजाई का सर्वोत्तम समय अगस्त–सितंबर (मॉनसून के बाद) है। इसके लिए दो वर्ष पुराने स्वस्थ पौधों का चयन करना चाहिए।
पौधारोपण वर्गाकार विधि से किया जाता है। पंक्ति से पंक्ति तथा पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 मीटर रखनी चाहिए। अप्रैल–मई में 90x90x90 सेंटीमीटर के गड्ढे तैयार कर उनमें गोबर की सड़ी हुई खाद, नीम की खली और सिंगल सुपर फास्फेट मिलाकर भरना चाहिए। वर्षा ऋतु के बाद इन गड्ढों में पौधे लगाए जाते हैं।
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि लीची की जड़ें नमी के प्रति संवेदनशील होती हैं, इसलिए पौधों को नियमित रूप से पानी देना आवश्यक है। साथ ही समय-समय पर खाद और छंटाई भी करनी चाहिए। पौधों को कीटों और रोगों से बचाने के लिए प्रभावी रसायनों का छिड़काव करना उपयोगी होता है।