ईस्ट इंडिया टाइम्स मनोज जौहरी के साथ सुधीर कुमार।

फर्रुखाबाद।थाना मेरापुर संकिसा क्षेत्र के नगला दुवे निवासी मनोज बाल्मीकि बौद्ध धर्म से प्रेरित होकर भिक्षु धम्मानन्द बन गये है। संकिसा के भिक्षुओं ने मनोज बाल्मीकि को बधाई देकर उनका जोरदारी से स्वागत किया है। पहली बार बुद्ध बिहार की जननी संकिसा स्थित धम्मलोको बुद्ध बिहार पर दलितों में सबसे नीचे पायदान पर जिसे समाज में मेहतर (भंगी) कहा जाता है। ऐसे मनोज बाल्मीकि ने बीते महीनों पहले चीवर ग्रहण किया था। उनका धम्मानंद नाम से नामकरण किया गया। अब भिक्षु धम्मानंद ने धम्मालोंको बुद्ध विहार में डेरा डाल दिया है। वह अब बुद्ध विहार पर वर्षावास कर रहे है। 9 सितंबर को भिक्षु धम्मानंद के परिवारवालों ने संकिसा के करीब आधा सैकड़ा भिक्षुओं को भोजनदान व संघदान कराया। वर्षावास के संघ नायक भिक्षु धम्मकीर्ति, भिक्षु धम्म रतन, भिक्षु कंचन बोधि सहित दर्जनों भिक्षुओं ने खुशी जाहिर की। भिक्षु धम्म कीर्ति ने भिक्षुओं को उपदेश देते हुए कहा कि हमारा धम्म बराबरी और समानता का संदेश देता है।धम्मा लोको बुद्ध बिहार सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष अनागारिक करमवीर शाक्य ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मेरा संबंध संकिसा की धरती से 68 वर्षों से है। हमने छुआछूत पाखंड के खिलाफ अनवरत संघर्ष किया। वर्षो से घर और परिवार से संबंध नहीं रहे। हम बुद्ध अनुयाइयों व अंबेडकर वादियों से अपेक्षा करते है कि वह ब्राह्मण वादी लुटेरी संस्कृति के खिलाफ संघर्षरत रहे। भगवान बुद्ध की कमेरी संस्कृति से नाता जोड़े और लुटेरी संस्कृति से संबंध तोड़े। बुद्ध का धम्म वैज्ञानिक, तर्क शील व समतावादी भाई चारे का प्रतीक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *