रिपोर्ट मुनीश उपाध्याय।


बिजनौर / नहटौर। मिडिया को शासन/ प्रशासन तथा जनता के बीच की वह मुख्य कढ़ी माना जाता है। जो अपनी कलम से शासन प्रशासन की योजनाओं से आम जनता को अवगत कराती है तथा जन समस्यायों से शासन व प्रशासन को अवगत कराने का कार्य करती है। परन्तु शासन व प्रशासन के अधिकारी मिडिया के सवालों का जवाब देने से बचते रहें तो मिडिया व शासन व प्रशासन में तालमेल कैसे बना रह सकता है।नहटौर में वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस और पत्रकार के बीच संवादहीनता का मामला सामने आया है। थाना नहटौर में तैनात उपनिरीक्षक जितेंद्र तोमर सड़क पर वाहन चेकिंग कर रहे थे। जनपद की एक तेज तर्रार वरिष्ठ पत्रकार एक सिटी न्यूज़ चैनल की एंकर निधि शर्मा ने उनसे चेकिंग का कारण जानने की कोशिश करते हुए सवाल किया सर चेकिंग का उद्देश्य स्पष्ट किया जाए, ताकि सही जानकारी जनता तक पहुंचाई जा सके। हालांकि उपनिरीक्षक ने पत्रकार की बात का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। पत्रकार ने पूछा क्या यह चेकिंग किसी उच्च अधिकारी के आदेश पर हो रही है या किसी संदिग्ध की तलाश में लेकिन पुलिसकर्मी ने केवल इतना कहा उन्हें टीवी चैनल पर वाइट देने का अधिकार नहीं है। पत्रकार ने कहा अरे सर वाइट मत दीजिए वैसे ही बता दीजिए
पुलिस प्रशासन और पत्रकारिता के बीच तालमेल की कमी दिखी। पत्रकार ने बार-बार निवेदन किया केवल चेकिंग का कारण जानने की जरूरत है, क्योंकि पत्रकारों का मुख्य उद्देश्य जनता तक सही जानकारी पहुंचाना है। लेकिन संवादहीनता के कारण पत्रकार को कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।
यह सोचने का विषय है पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई का उद्देश्य जनता को समझाना भी आवश्यक है। पत्रकारों के माध्यम से यह जानकारी जनता तक पहुंचती है, जो पुलिस और जनता के बीच विश्वास को मजबूत करती है। नहटौर में वाहन चेकिंग अभियान के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं क्या पुलिस प्रशासन को स्पष्टवादी की तरह और अधिक पारदर्शी होना चाहिए। समाज के लिए यह जरूरी है पुलिस और पत्रकार एक-दूसरे के काम को समझें और समन्वय बनाकर काम करें। ताकि जनता में सही संदेश जाए और कानून व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जा सके।

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