दिल्ली –

जहान-ए-खुसरों के रजत जयंती समारोह में सूफ़ी परमपरा के लिए कहे गए प्रधानमंत्री मोदी जी के शब्द सूफ़ी इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों के रुप में जाने‌ जायेगें, और इसके लिए आस्ताना शाह विलायत रायपुर तहेदिल से इस्तक़बाल करता हैं।

दिल्ली की शाम सुंदर नरसरी में आयोजित जहान-ए-खुसरों रजत जयंती समारोह में शामिल होने पहुंचे पीएम मोदी जी के द्वारा कहा गया जहान-ए-खुसरो के इस आयोजन में एक अलग सी खुशबू है, और ये खुशबू हिन्दुस्तान की मिट्टी की है। और वोह हिन्दूस्तान कि जिसकी तुलना हज़रत‌ अमीर खुसरो ने जन्नत से की थी। और हमारा ये हिन्दूस्तान जन्नत एक ऐसा बगीचा है जहां तहज़ीब का हर रंग फलां फूला है। यहां कि मिट्टी में ही कुछ खास है। शायद इसीलिए जब सूफी परम्परा हिन्दुस्तान आयी तो उसे भी लगा कि जैसे अपनी ही ज़मीं से जुड़ गयी है। जहां बाबा फरीद की बातों ने दिलों को सुकून दिया। वहीं निज़ामुद्दीन की महफिलों ने मोहब्बत के दिये जलायें। अमीर खुसरो की बोलियों ने नये मोती पिरोये, भारत में सूफी परम्परा ने एक अलग पहचान बनाई। सूफियों ने अपने आप को मस्जिदों और खानकाहों तक सीमित नहीं रखा, उन्होंने पवित्र कुरान के हर्फ पढ़े तो वेदों के शब्द भी सुने, उन्होंने अज़ान की सदा में भक्ति के गीतों की मिठास को भी जोड़ा। किसी भी देश की सभ्यता, उसकी तहजीब को स्वर उसके गीत-संगीत से मिलता है। उसकी अभिव्यक्ति कला से होती है। हजरत अमीर खुसरो ने भारत को उस दौर की दुनिया के तमाम बड़े देशों से महान बताया। उन्होंने संस्कृत को दुनिया की सबसे बेहतरीन भाषा बताया। उन्होंने कहा कि सूफ़ी परमपरा ने अमन और मोहब्बत भाईचारे का पैगाम दिया और मुझे खुशी है कि आज जहान ए खुसरो उसी परम्परा की एक आधुनिक पहचान बन गया है।

जिस प्रकार पीएम मोदी जी के द्वारा महान सूफ़ी अमीर खुसरो के कार्यक्रम में शिरकत कर हिन्दुस्तान की सरज़मीन पर सूफियों द्वारा भाईचारा अमन मोहब्बत के पैगाम को लेकर किए गए कार्यो को याद किया गया है वोह काबिले-तारीफ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के ये शब्द सूफ़ी इतिहास में सुनहरे अक्षरों में जाने जायेंगे, और आस्ताना शाह विलायत रायपुर तहे दिल से इस्तक़बाल अभिनंदन करता हैं।

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