वैद्य
के०पी०सिंह शाक्य*
आयुर्वेदाचार्य

कायमगंज/फर्रुखाबाद
यह औषधि वृक्ष हमारे देश में सदियों से हर क्षेत्र में पाया जाता आ रहा है। इसे सदाबहार वृक्ष भी कहते हैं।इस को अनेकों नामों से जाना जाता है। जम्बू,महाफला,फलेंन्द्रा, जामुन,जांबु,जांबू,जांभूल,कालाजाम,जामूल,नेरेडू,शबलनाबल,नवल,नेरले आदि नामों से जाना जाता है।
जामुन के बीज में एक क्षाराभ अम्ल मात्रा और पांडुपीत
उड़नशील तेल,गैलिक एसिड,वहां,राल, एल्ब्यूमिन आदि तत्व मौजूद होते हैं।जांबू की गुठली में मधुमेह निवारक क्रिया ग्लूकोसाइड के कारण होती है।इस छाल में 12%टैनिन पाया जाता है।
फलेंन्द्रा को पित्त शामक,दाहप्रशमन,छर्दिनिग्रहण, तथा स्तम्भने आदि अनेक प्रकार से उपयोग लिया जाता है।
इस वनौषधि का उपयोग कुछ इन रोगों में अलग-अलग घटकों के साथ मिश्रित कर किया जाता है इस प्रकार है:- दांत रोगों, नेत्र विकार, मोतियाबिंद,मूंह के छालों,कंठ रोग,कर्ण पूय स्राव,मधूमेह,अर्श, अतिसार,संग्रहणी,रक्तातिसार,प्रवाहिका,अफरा,प्लाहाशोथ,वमन, यकृत विकार,कामला,उपदंश,पथरी, रक्त पित्त,व्रण अग्नि दग्ध, रक्त स्राव, जूते का घाव, कुचला विष, आदि में जम्बू फल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
जम्बू फल पूर्व समय से ही हमारे देश में बहुतायत पाया जाता रहा है इसी के कारण पूर्ण समय में हमारा देश भारत जम्बूद्वीप के नाम से जाना जाता था।
विशेष कर जम्बू फल खाने से दिल की धड़कन सामान्य होती है। रक्त विकार दूर होते हैं।आवाज़ साफ होती है। थकावट,दमां, खांसी, आदि ठीक होते हैं। इसका शर्बत पीने से वमन,जी मिचलाना, खूनी दस्त,बबासीर में आशातीत लाभ होता है।
नोट:- अगर हम जम्बू फल अधिक खालें और कोई परेशानी होती है तो आंवला, अजमोदा,जिंजीबर लेना आवश्यक हो जाता है। ऐसा करने से जम्बू फल के सभी उपद्रव समाप्त हो जाते हैं।