ईस्ट इंडिया टाइम्स फैयाज अहमद।

देहरादून/उत्तरांड/
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद, इसके तहत विभिन्न प्रकार के पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस बीच यूसीसी के ड्राफ्ट और नियमों को तैयार करने वाली कमेटी की सदस्य प्रो. सुरेखा डंगवाल ने लिव-इन पंजीकरण (Live-in registration) को लेकर बड़ा बयां दिया है.

रजिस्ट्रार स्तर पर ही होगी जांच
यूसीसी कमेटी की सदस्य प्रो. सुरेखा डंगवाल ने स्पष्ट किया है कि यूसीसी (UCC) के तहत लिव इन पंजीकरण के लिए दिए गए दस्तावेजों की जांच सिर्फ रजिस्ट्रार के स्तर पर की जाएगी, इसमें किसी और एजेंसी की भूमिका नहीं है. प्रो सुरेखा डंगवाल ने बयान जारी करते हुए बताया कि यूसीसी नियमों के तहत लिव-इन आवेदन मिलने पर रजिस्ट्रार केवल जिला पुलिस अधीक्षक के माध्यम से सम्बंधित थाने को इसकी सूचना देगा.
यह सूचना सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से साझा की जाएगी. थाना प्रभारी या किसी अन्य अधिकारी को आवेदन की जानकारी तक सीधी पहुंच नहीं होगी. पूरी प्रक्रिया जिला पुलिस अधीक्षक की निगरानी में होगी, ताकि गोपनीयता बनी रहे. नियमों के अनुसार रजिस्ट्रार को स्पष्ट रूप से उल्लेख करना होगा कि यह सूचना केवल अभिलेखीय प्रयोजन के लिए है. इसका अर्थ ये है कि पुलिस को यह जानकारी तो दी जाएगी, लेकिन इसका इस्तेमाल किसी अन्य जांच या हस्तक्षेप के लिए नहीं किया जा सकेगा.
यूसीसी कमेटी की सदस्य प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि चूंकि लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चे को भी जैविक बच्चे की तरह पूरे अधिकार दिए गए हैं, इसलिए इस तरह के लिव-इन पंजीकरण से विवाह संस्था को मजबूती मिलेगी, जो हमारे समाज की समृद्धि का आधार रही है.

By hi

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