ईस्ट इंडिया टाइम्स एस पी कुशवाहा

देवरिया/मईल थाने में समाधान दिवस में प्रशासन की टीम अपनी मुस्तैदी दिखाते हुए जनता की समस्याओं को निपटने में लगी रही। यह थाना दो तहसीलों के सरहद पर है इस थाने की सीमा दो तहसीलों को सेवा प्रदान करती है बरहज तहसील का कोई जिम्मेदार और सलेमपुर तहसील का कोई जिम्मेदार अधिकारी थाना समाधान दिवस में दिखा, राजस्व कर्मचारियों के भरोसे ही चला थाना दिवस।अब थाना दिवस कागजों में अपनी उपस्थिति दर्ज करता हैं। समस्याओं को निपटने में नहीं। समाधान दिवस के कर्तव्य से राजस्व विभाग के अधिकारी भटकेते फिर रहे हैं कर्मचारी राजस्व कर्मचारी नहीं चाहते हैं एक भी समस्याओं का समाधान थाना दिवस में हो क्योंकि समस्याओं का समाधान अगर थाना दिवस में हो जाता है तो लक्ष्मी माता की परिक्रमा नहीं हो पाएगी। आज के समय में जमीन की पैमाइश करना धारा 24 की पैमाइश करना बहुत कठिन हो गया है कई वर्षों से पीड़ित मजबूर लोगों की फाइलें पैमाइश न होने से लंबित पड़ी हुई है। पैमाइश न होने से राजस्व से संबंधित विवाद दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं फाइलें मोटी होती जा रही है यदि एक छोटे से चक की पैमाइश करना है तो लगभग ₹20000 लग जाएगा धारा 24 के अंतर्गत पत्थर गढ़वाने में लीगल तरीके से। अन लीगल तरीका तो सुभान अल्लाह राजस्व से संबंधित समस्याओं का निपटारा हो भी जाता है तो प्रशासन के जांबाज सिपाहियों के मेहनत से। राजस्व टीम के लेखपाल प्रार्थना पत्र को बिना पीड़ित के बयान व संतुष्टि के कर देते हैं निस्तारण किस किस प्रकार से पुलिस के पीछे पीड़ित को लगानी पड़ती है दौड़,दौड़ के प्रतिफल में बीट के सिपाही दौड़ाते दौड़ाते मामले का कर देते हैं निस्तारण।लेकिन वही बिना बड़े अधिकारीयों द्वारा आदेशित प्रार्थना पत्र को कागजों में निस्तारण की रिपोर्ट लगाकर भेजने में लेखपालों और कानूनगो को महारथ प्राप्त है शासन को यह रिपोर्ट चली जाती है कि मामला निस्तारित हो गया पीड़ित व्यक्ति संतुष्ट हो गया लेकिन पीड़ित व्यक्ति को पता भी नहीं चलता है कि हमारा प्रार्थना पत्र कहां गया ऐसे में समाधान दिवस का लक्ष्य और उद्देश्य अधूरा रह जाता है । ऐसे में थाना समाधान दिवस के उद्देश्य को फेल करने में राजस्व विभाग की अहम भूमिका रहती है पीड़ित अपने पीड़ा से पीड़ित ही रह जाता है यदि सभी तहसीलों में धारा 24 की फाइलों की निगरानी की जाए तो यह पता चलेगा कि 10 वर्षों से दाखिल फाइल की पैमाइश नहीं हो पाई है आखिर में क्या कारण है?की 10 वर्ष की भूमि विवाद पैमाइश की फाइलें आज भी न्यायालय की समक्ष अपना दिन गिन रही हैं।

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