दैनिक ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट मनोज कुमार सोनी/

सिंगरौली/मध्यप्रदेश /जैसे-जैसे त्योहारी मौसम नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे जिलेभर में मिठाइयों की दुकानों पर भीड़ बढ़ती जा रही है। कई लाख से अधिक परिवार वाले जनपद में हर घर में किसी न किसी त्यौहार पर मिठाई जरूर खरीदी जाती है।सवाल यह उठता है क्या दुकानों पर जो मिठाइयां बेची जा रही हैं, वे वाकई शुद्ध और सुरक्षित हैं? क्या उपभोक्ताओं को उनके पैसे के बदले में उचित गुणवत्ता और मात्रा मिठाई मिल रही है?
इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए जब पत्रकारों की एक टीम ने जिले की कई नामी मिठाई बेचने वाली दुकानों का दौरा किया, तो एक ऐसी हकीकत सामने आई जिसने आम जनता की सेहत और जेब दोनों को लेकर चिंता बढ़ा दी है। जहां पर जिले भर में फैल चुके राजस्थान स्वीट्स एण्ड रेस्टोरेंट की शाखाएं अब मिठाई और नाश्ते के नाम पर आम जनता को न केवल घटिया गुणवत्ता का सामान बेच रही हैं, बल्कि उपभोक्ताओं की जेब पर भी सीधा डाका डाल रही हैं।
स्थानीय स्तर पर मिली जानकारी के अनुसार, पहले भी राजस्थान मिष्ठान पर प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जा चुकी है, जिसमें अमानक मिठाइयों को जब्त किया गया था। बावजूद इसके, ये प्रतिष्ठान बिना किसी रोकटोक के चल रहे हैं। ग्राहकों की मानें तो दुकानदार मिठाई के डिब्बे के वजन को भी मिठाई के वजन में जोड़कर उनसे 900 रुपय प्रति किलो तक वसूल रहे हैं। यानी यदि काजू कतली 900 रुपये किलो है, और डिब्बे का वज़न 100 ग्राम है, तो उपभोक्ता उस डिब्बे की कीमत भी मिठाई की दर से चुका रहे हैं। यह न केवल उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि खुलेआम धोखाधड़ी भी है। राजस्थान स्वीट्स द्वारा बेचे जाने वाले नाश्तों—जैसे समोसे, लिट्टी, और पानी पुरी—में कीड़े पाए जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं। कई बार उपभोक्ताओं ने इन घटनाओं को रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर वायरल किया है, जिससे जनता में आक्रोश भी देखने को मिला। आश्चर्य की बात यह है कि इन शिकायतों के बाद भी न तो किसी दुकान को सील किया गया, और न ही किसी जिम्मेदार पर कोई सख्त कार्रवाई हुई।
जब जिले में फूड एंड ड्रग कंट्रोलर विभाग सक्रिय है, तो फिर इस तरह की दुकानें कैसे संचालित हो रही हैं? फूड इंस्पेक्टर के नाम पर हर क्षेत्र में नियुक्त अधिकारी होते हैं, जिनकी जिम्मेदारी होती है कि वे खाद्य पदार्थों की नियमित जांच करें। लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी मिठाई की दुकानों के पैकेट खुद सरकारी कार्यालयों में देखे जा सकते हैं, यह साफ संकेत मिलता है कि या तो विभाग पूरी तरह उदासीन है या फिर कहीं न कहीं मिलीभगत की बू भी है।
घटिया गुणवत्ता, अस्वच्छ उत्पादन, मिलावटी सामग्री और वज़न में गड़बड़ी जैसी गंभीर शिकायतें किसी एक दुकान तक सीमित नहीं हैं। यदि अब भी समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले दिनों में ये लापरवाहियां बड़ी स्वास्थ्य आपदा का रूप ले सकती हैं।
जिले के कई निजी स्कूलों, कार्यक्रमों और दफ्तरों में इन्हीं दुकानों से मिठाइयों की सप्लाई हो रही है, जिसका मतलब है कि छोटे बच्चे और बुजुर्ग तक इस मिलावट की चपेट में हैं। विशेष जांच अभियान चलाया जाए, मिठाइयों और नाश्ते की गुणवत्ता, सफाई, वज़न, और मूल्य की जांच की जाए,फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट को जवाबदेह बनाया जाए कितने निरीक्षण हुए, कितने सैंपल लिए गए, कितनों पर कार्रवाई हुई?
डिब्बे के वजन को मिठाई के वजन में न जोड़ने के निर्देश सभी दुकानदारों को दिए जाएं उल्लंघन करने वालों से जुर्माना वसूला जाए,सार्वजनिक शिकायत पोर्टल या हेल्पलाइन शुरू हो, जहां उपभोक्ता शिकायत दर्ज करा सकें.गुप्त ग्राहक प्रणाली लागू हो, प्रशासन निरीक्षण के नाम पर लीपापोती बंद कर सके।
राजस्थानी लोगों ने कहा कि सिंगरौली जैसे उभरते हुए जिले में यदि खाद्य गुणवत्ता और उपभोक्ता अधिकारों पर इस तरह की चोटें होती रहीं, तो न केवल स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ेंगी, बल्कि आम जनता का विश्वास भी पूरी व्यवस्था से उठ जाएगा। प्रशासन का यह पहला कर्तव्य है कि वह जनता की थाली तक जाने वाले हर खाद्य पदार्थ की शुद्धता सुनिश्चित करे।
अब समय आ गया है कि ब्रांड के नाम पर हो रही लूट और मिलावट को रोका जाए नहीं तो मिठास की जगह कड़वाहट ही रह जाएगी।
सभी मामलों को लेकर फूड इंस्पेक्टर मुकेश झरिया से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम दिखाते हैं और वजन की रही बात तो वह नापतोल विभाग उसे पर संज्ञान लेगा..

By jamal

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