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सीवर लाइन डलवाने वाले अधिकारी व संस्था से होगी वसूली बिना काम पूरा किए जल निगम ने ठेकेदार को कर दिया था 86 करोड़ का भुगतान

कन्नौज जनपद में ईस्ट इंडिया टाइम्स अखबार का खबर का फिर दिख असर प्रमुखता से प्रकाशित

ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेन्द्र सिंह धुआँधार

कन्नौज। सीवर लाइन डलवाने वाले जलनिगम के अधिकारियों व कार्यदायी संस्था से वसूली की जाएगी।ईस्ट इंडिया टाइम्स अखबार में खबर प्रमुखता से छपने पर समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण ने जलनिगम के एमडी राजशेखर सहित जिले के जलनिगम के अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की। इसमें जलनिगम के अधिकारियों ने बताया कि साई संस्था को काम पूरा नहीं करने पर निलंबित कर दिया था। बाद में अन्य ठेकेदारों द्वारा काम कराया गया। जलनिगम विभाग के तीन खंड होने के कारण भुगतान के प्रपत्र एकत्र किए जा रहे है। साई संस्था के संचालक मुकेश अग्रवाल का देहांत हो चुका है। संस्था भी क्रियाशील नहीं है। ऐसे में जलनिगम के एमडी ने तत्कालीन अधिकारियों की सूची बनाकर उनसे वसूली करने के निर्देश दिए। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है। समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि इस मामले में लापरवाही क्षम्य नहीं होगी। शहर की सबसे बड़ी समस्या सीवरलाइन है और सदिकापुर गांव में पानी भरा है। इस समस्या का निदान कैसे होगा, इस बारे में सक्रियता बढ़ाए जाने की अपेक्षा है।शहर को सुंदर व स्वच्छ रखने के लिए शासन ने 89 करोड़ का बजट आवंटित किया था। अमरापुर में सीवर प्लांट बनाया गया। वर्ष 2018 में शहर में सीवर लाइन डालने का काम गाजियाबाद की साई कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला। इसके प्रोपराइटर मुकेश अग्रवाल थे। संस्था ने शहर में 61 किलीमीटर की सीवर लाइन डाली। 22 हजार घरों को जोड़ने के सापेक्ष छह हजार घरों में ही सीवर लाइन के कनेक्शन किए गए। इसके बाद प्लांट व सीवर लाइन नगर पालिका को हैंंडओवर नहीं किया और 86 करोड़ का भुगतान कर दिया। छह वर्ष में सीवर लाइन चोक हो गई। मंत्री ने जलनिगम के एमडी डाॅ. राजशेखर को जांच के आदेश दिए थे। एक माह में विभाग के अधिकारियों ने भुगतान के प्रपत्र जांच कर रहे अधिकारियों को उपलब्ध नहीं कराए है।गाजियाबाद की साई कंस्ट्रक्शन कंपनी को सीवर लाइन डालने का ठेका मिला था। कंपनी की ओर से विभाग में 64 लाख के बंध पत्र दाखिल किए गए थे। काम पूरा नहीं करने पर जलनिगम विभाग की ओर से कंपनी को निलंबित कर दिया गया था। विभाग की ओर से बैंक में कंपनी की बंधक रकम को रोकने के लिए पत्राचार किया गया। कंपनी के संचालक का देहांत हो गया। बैंक अधिकारियों ने विभाग को बिना सूचना दिए बंधक धनराशि का भुगतान कर दिया। जलनिगम के एमडी ने इस मामले में तत्कालीन बैंक अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए।

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