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मेयर पद की जंग ने मचा दी सियासी गलियों में हलचल

ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट फैयाज अहमद।

देहरादून/उत्तराखंड में निकाय चुनाव के प्रचार का शोर 72 घण्टे बाद थम जाएगा। जबकि प्रदेश के 11 नगर निगमों, 43 नगर पालिका और 46 नगर पंचायतों में चुनावी हलचल मची हुई है। इस बार, प्रदेश के तीन बड़े शहरों में मेयर पद के लिए मुकाबला सबसे ज्यादा दिलचस्प हो गया है। ऋषिकेश, श्रीनगर गढ़वाल और हल्द्वानी, इन तीनों नगर निगमों में मेयर पद की जंग ने सियासी गलियों में हलचल मचा दी है। आइए जानते हैं, इन शहरों में क्या हो रहा है। ऋषिकेश नगर निगम पर मुकाबला त्रिकोणीय बना हुआ है। यहां चुनावी मुकाबला सीधे तौर पर बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय कैंडिडेट दिनेश चंद्र मास्टर के बीच हो रहा है। बीजेपी ने शंभू पासवान और कांग्रेस ने दीपक जाटव को टिकट दिया है, लेकिन दोनों ही कैंडिडेट उत्तराखंडी नहीं हैं। इस मुद्दे को दिनेश चंद्र मास्टर ने जमकर उठाया, और इसे अपने मास्टर स्ट्रोक के रूप में पेश किया। अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ऋषिकेश का चुनाव सिरदर्द बन चुका है। दिनेश चंद्र मास्टर को स्थानीय नेताओं का समर्थन मिल रहा है, और चुनावी माहौल गरम हो गया है।
श्रीनगर गढ़वाल में चुनावी घमासान हो रहा है। बीजेपी ने आशा उपाध्याय को उम्मीदवार बनाया, जो एक दिन पहले भाजपा में शामिल हुईं। इसके बाद पार्टी के अंदर असंतोष का माहौल बना है। लखतप सिंह भंडारी ने अपनी पत्नी आरती भंडारी को निर्दलीय मैदान में उतारा है, और उनके साथ नाराज बीजेपी कार्यकर्ता भी हैं। वहीं, पूर्व पालिकाध्यक्ष पूनम तिवाड़ी भी निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं, जो कांग्रेस के वोट बैंक को तोड़ सकती हैं। इस सब के बीच, यूकेडी ने सरस्वती देवी को उम्मीदवार बनाया है, और इस तरह श्रीनगर का चुनाव एक दिलचस्प संघर्ष में बदल चुका है।
हल्द्वानी में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है। बीजेपी ने गजराज बिष्ट को, जबकि कांग्रेस ने ललित जोशी को मैदान में उतारा है। हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश का यहाँ बड़ा जनाधार है, और यही वजह है कि कांग्रेस मजबूत दिखाई दे रही है। हालांकि, गजराज बिष्ट का मजबूत व्यक्तित्व और बीजेपी का संगठन उन्हें इस मुकाबले में कहीं से भी कमजोर नहीं पड़ने देता। इस कारण हल्द्वानी का चुनाव भी बेहद रोचक बन गया है। तो, इन तीनों शहरों में मेयर पद के चुनावों ने उत्तराखंड की सियासत में हलचल मचा दी है। कौन सी पार्टी किसे मात देती है, ये आने वाले समय में साफ होगा।

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