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बालकों को संस्कारित करने के लिए विशेष रूप से माताओं का सहयोग जरूरी: सत्यानंद महाराज

रिपोर्ट सौरभ अग्रवाल।

फिरोजाबाद। अखिल भारतीय सोहम महामंडल द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ एवं विराट सन्त सम्मेलन में सोहम् पीठाधीश्वर ने कहा कि जीवन में शिक्षा और पवित्र संस्कार की महती आवश्यकता है। तभी जीवन में पवित्र आचार विचार, आहार – विहार, रहन – सहन एवं आचरण शुद्ध होंगे। विपरीत आचरण करने वाले की सद्गति नहीं हो सकती।
रामलीला मैदान में चल रही विराट संत सम्मेलन में सोहम् पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज ने कहा कि सही शिक्षा और शुद्ध संस्कार से जीवन श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए। भगवान राम ने गुरू वशिष्ठ और विश्वामित्र से शिक्षा ग्रहण की थी। श्रीकृष्ण संदीपनी के आश्रम में जाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। धु्रव को अपनी माता से संस्कार मिले थे। आज सबसे ज्यादा बच्चों को शिक्षा और पवित्र संस्कार देने की आवश्यकता है। उसके लिए सभी को प्रयासरत रहना चाहिए। स्वामी शुकदेवानंद ने बालकों को संस्कारित करने के लिए विशेष रूप से माताओं को संस्कारित होने की आवश्यकता पर बल दिया। माता मदालसा का दृष्टांत देते हुए उन्होंने कहा कि मदालसा ने अपने सभी पुत्रों को संस्कारित करके सदा के लिए भवसागर से मुक्त करा दिया। स्वामी रामशरणदास ने रामकथा द्वारा राम के आदर्शाे को प्रस्तुत किया। स्वामी परमानंद ने बच्चों की शिक्षा में आध्यात्मिकता और वैज्ञानिकता की साथ रखने पर प्रकाश डाला। प्रणवानंद ने संतों के सानिध्य की आवश्यकता पर बल दिया। स्वामी निगमानन्द ने गीता की महत्ता पर प्रकाश डाला और शिक्षा में सम्मिलित कराने पर बल दिया , स्वामी नारायणानंद ने मंच का संचालन किया। कथा वाचक रामगोपाल शास्त्री ने श्रोताओं को भागवत कथा का रसास्वादन कराया। शुकदेव परीक्षित संवाद, धुंधकारी की मार्मिक कथा सुनकर भक्त।समुदाय भावविभोर कर दिया। इस अवसर पर चंद्रप्रकाश शर्मा, सर्वेश दीक्षित, द्विजेंद्र मोहन शर्मा, प्रवीण अग्रवाल, विपिन शर्मा महेश यादव ,प्रमोद माहेश्वरी, उमाकांत पचौरी एड. आदि मौजूद रहे।

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