रिपोर्ट वीरेंद्र तोमर बागपत

बागपत/जीवन में आने वाली चुनौतियाँ कभी-कभी इंसान को तोड़ देती हैं, लेकिन कुछ लोग अपने हौसले और संकल्प से कठिन परिस्थितियों को भी अवसर में बदल देते हैं। ऐसी ही मिसाल पेश की है जनपद के गाँव मुकारी निवासी 28 वर्षीय आकांक्षा शर्मा ने। दो वर्ष पूर्व हुए एक भीषण सड़क हादसे में पिता को खो देने और खुद दिव्यांग हो जाने के बावजूद आकांक्षा ने हार नहीं मानी। जिलाधिकारी अस्मिता लाल के सहयोग और मार्गदर्शन से अपने जीवन की राह बदली, बल्कि रोजगार पाकर एक नई उम्मीद भी जगाई है।दो साल पहले हुए सड़क हादसे ने आकांक्षा के जीवन को गहरा आघात दिया। हादसे में उनके पिता का निधन हो गया और आकांक्षा गंभीर रूप से घायल होकर दिव्यांग हो गईं। उस कठिन समय में जहां उनकी बैंक की नौकरी चली गई, वहीं परिवार में अकेली मां उर्मिला शर्मा ही उनका सहारा रहीं। भाई-बहनों का विवाह हो चुका थी। डॉक्टरों ने उसे मृततक घोषित कर दिया था, लेकिन हार नहीं मानी और हिम्मत के बल पर जिंदगी की जंग जीत ली। आकांक्षा बताती हैं कि हादसे के बाद लोगों ने कहा कि अब वह जीवन में कुछ नहीं कर पाएंगी। रोज़मर्रा की कठिनाइयों, रोजगार की कमी और समाज की नकारात्मक सोच के बावजूद उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। वह हार नहीं मानेंगी और कुछ कर दिखाएंगे
हाल ही में आकांक्षा दिव्यांग उपकरण वितरण कार्यक्रम में ट्राइसाइकिल के लिए पहुंचीं डीएम ने ट्राइसाइकिल वितरित करने के दौरान आकांक्षा से संवाद किया भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछा। आकांक्षा को प्रेरित किया और सीवी तैयार कर जमा करने की सलाह दी।
डीएम की पहल पर आकांक्षा का प्रोफाइल स्थानीय उद्योगों को भेजा गया। सिसाना स्थित आकृति ज्वेलक्राफ्टज़ इंडस्ट्री ने उनके अनुभव और हिम्मत को देखते हुए उन्हें नौकरी का अवसर दिया। इंटरव्यू की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन आकांक्षा ने आत्मविश्वास और पूर्व नौकरी के अनुभव के दम पर सफलता हासिल की और नियुक्ति पत्र प्राप्त किया
नियुक्ति पत्र मिलने के बाद आकांक्षा ने कहा, “मैं तो ट्राइसाइकिल लेने आई थी, लेकिन जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने मुझे रोजगार दिलाकर आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया। अब मैं अपने जीवन में फिर से आगे बढ़ने के लिए तैयार हूँ। आकांक्षा की यह सफलता समाज के लिए प्रेरणादायक संदेश है कि दिव्यांगता शरीर को प्रभावित कर सकती है, लेकिन हौसलों और सपनों को कभी नहीं तोड़ सकती। जिलाधिकारी अस्मिता लाल की संवेदनशीलता और सक्रिय पहल ने यह साबित कर दिया है कि प्रशासन के छोटे-छोटे प्रयास भी किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। आकांक्षा अब अपने परिवार का सहारा बनने, आत्मनिर्भर जीवन जीने और नए सपनों को पूरा करने के लिए उत्साहित हैं। उनका संघर्ष और जीत उन तमाम दिव्यांगजनों के लिए प्रेरणा है जो जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।