ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान
कायमगंज/ फर्रुखाबाद
आज मंगल बार को मुस्लिम समुदाय ने चाँद की 11 तारीख़ को ग्यारहवी शरीफ का त्यौहार पीरों के पीर हज़रत गौस ए आज़म की याद में मनाया गया। घर घर मिठाईयों पर फातेहा कराकर गरीवों में तकसीम किया गया। वही नगर के मोहल्ला जाटवारे से हर साल की तरह एक अज़ीमुसशान जुलूस निकाला गया जिसमे सैकड़ो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शिरकत की जुलूस में घोड़े, मोटरसाईकिले व सैकड़ो अक़ीदतमंद जुलूस के साथ चल रहे थे। 11वीं शरीफ का त्योहार पीरों के पीर हज़रत शेख सैय्यद अबू मोहम्मद अब्दुल कादिर जीलानी अलैह वसल्लम से निस्बत रखता है। जिन्हें गौस ए आजम के नाम से जाना जाता है। गौस ए आज़म को वलायत में वह मुकाम हासिल हुआ। जो किसी अन्य वली को नहीं मिला। इसलिए गौस ए आज़म ने फरमाया मेरा यह कदम अल्लाह के हर वली की गर्दन पर है। यह सुनकर दुनिया के हर वलियों ने अपनी गर्दन झुका ली। गौस ए आज़म परहेजगार, इबादत गुजार, पाक़ीज़ा व अल्लाह वालों के इमाम हैं। अल्लाह ने गौस ए आजम को वह मुकाम अता फ़रमाया कि वह अपनी नज़र ए वलायत से सब कुछ देख लेते जो एक आम इंसान नहीं देख पाता। आपकी पैदाइश रमजान की 1 तारीख को हुई। आपका का लक़ब मोहिउद्दीन है जिसके मायने हैं मजहब को जिंदा करने वाला आपका बयान सुनने के लिए जिन्नात भी आया करते थे। आपके पास बेशुमार इल्म था जिसका फायदा दुनिया को मिला और इस्लाम नए सिरे से जिंदा हुआ।
नज़रे करम खुदारा,ए पीरे पीरानी
मेरा खाली कासा भर दो,मैं फ़कीर हूँ तुम्हारा।
जुलूसे गौसिया में मोहम्मद इरशाद कादरी, आवेज खा, यासीन गौस, पप्पू भाई, शकील भाई, आसिफ,चंदा बाबू, जावेद कादरी, जुनैद खा, अतीक अहमद, बबलू, नाज़िर, शहरोंज, अदीव, राजू, गुड्डू आदि शामिल थे

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