ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट संजीव कुमार सक्सेना।

फर्रुखाबाद/गर्मी आते ही हमें पुराने दिनों की याद आने लगतीहै पहले हमलोग गर्मी की छुट्टीपर नानी और दादी के घर जाया करते थे लेकिन अब ऐसा कम देखने को मिलता है वहां पर कुएं हुआ करते थे उसका पानी बहुत ठंडा और साफ हुआ करता था।आज कुछ ही संख्या में कुएं रह गए हैं शुद्ध होने के साथ पानीमें मिट्टी की भीनी सी महक आया करती थी आज का मॉडर्न युग मेंहम फ्रिज का ठंडा पानी पी रहे है आज के दौर में कुएं का काम गोल टोटी वाले घड़े और सुराही बहुत कम मात्रा में लोगों के पास देखने को मिल रहे हम आधुनिक में घड़ों का पानी नहीं पी रहे है जिससे नई नई बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं। पहले हर घर की शान घड़े हुआ करते थे इस मंहगाई के दौर में टोटी लगे घड़े से बाजार में उपलब्ध हैं 5 लीटर 10 लीटर 18 लीटर के 5 लीटर के रेट 100 रुपए से120 रुपए तक बिक रहा है 10 लीटर का 150 रुपए का 18 लीटर का 180 रुपए से 200 रुपए में बिक्री के लिए उपलब्ध है आज भी घड़े से शीतल महकदार पानी हमें पुराने दिनों की याद दिलाता है। पहले के जमाने में इनको ही छोटा फ्रिज कहा जाता था। अब टोंटीदार घड़ों की मांग बढ़ती जा रही है घड़े में आज भी पानी अपने आप ठंडा हो जाता है। बहुत लोग घड़े के ऊपर कपड़ा लगा कर गीला कर देते हैं पुराने जमाने के लोगों का कहना है घड़े के पानी से बीमारी भी कम होती है घड़े से आने वाली महक दिमाग और शरीर में ताजगी का आनन्द देती हैं।
