रिपोर्ट विरेन्द्र तोमर।

बागपत/ बडौत/ बिनौली क्षेत्र के बरनावा गांव में देवाधिदेव अतिश्यकारी चंदप्रभु भगवान का मासिक महाभिषेक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । रिद्धि-सिद्धि-समृद्धि को प्रदान करने वाले शांति मंत्रों के द्वारा भगवान के ऊपर शांति धारा की गई। भगवान का मस्तकाभिषेक, शांतिधारा , परिमार्जन करने का पुण्य सौभाग्य कुणाल जैन, संभव जैन,यश जैन रईस सरधना परिवार ने प्राप्त किया।
बाई और से शांतिधारा धनपाल जैन,अरिहंत जैन, अनुभव जैन, सरधना मंगल आरती करने का सौभाग्य नरेंद्र जैन, बड़ौत को प्राप्त हुई है।इसके बाद नित्य एवं नैमित्तिक पूजन की गई। संगीतकार शुभम जैन द्वारा भजनों द्वारा नृत्यभक्ति में भाव विभोर होकर श्री जी भक्ति की,
पंडित अंकित शास्त्री दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कहा-
धर्म संसार का सुख देता है तो निर्वाण भी देता है । धर्म के बिना मनुष्य तिर्यंच के समान होता है । धर्म आत्मा की आंतरिक चेतना की पवित्र धारा है । धर्म आत्मा से उत्पन्न होता है । जैसे गुलाब से पुष्प को सुगंध देने के लिए बाहर से किसी सुगंधित इत्र की अपेक्षा नहीं होती उसी प्रकार धर्म को बाहर से के पदार्थ की आवश्यकता नहीं होती । धर्म तो प्रकाश है, धर्म अमृत है, धर्म आध्यात्मिक ज्योति है और धर्म स्वयं में पूर्ण है । धर्म का मूल रत्नत्रय है रत्नत्रय का जल ही आत्मा को साफ करता है, स्वच्छ करता है । धर्म दुख, पीड़ा, संताप, क्लेश, वैमनस्य, राग-द्वेष आदि से मुक्ति दिलाने में कारण है । धर्म न्याय, नीति, परोपकार रूप जीना सिखाता है । धर्म पशुओं को परमेश्वर बनता है, धर्म और शैतानों को भगवान बनाता है, धर्म पतित को पवन बनता है और धर्म ही नर से नारायण बनता है ।
पंकज जैन, विनेश जैन,रजनीश जैन, अशेक जैन, आलोक जैन, अतिशय जैन, विकास जैन, पुष्पेंद्र जैन आदि लोग थे।