ईस्ट इंडिया टाइम्स राजेन्द्र सिंह धुऑंधार

कन्नौज। लोग कहते है कि जब दवा काम न करें तो तब दुआ काम करती है। ऐसे निराश लोगों की एक नई किरण है सूफी संत बाबा मुस्ताक शाह। गुरसहायगंज के समधन में है सूफी संत बाबा मुस्ताक शाह का आश्रम जहां शुक्रवार को गद्दी लगती है। जिसमें दूर-दूराज जनपदों से आए हुए लोग बाबा से लेते हैं मनचाहा आर्शीवाद। वैसे तो हर रोज बाबा लोगों की परेशानी दूर करते हैं। सूफी संत बाबा मुस्ताक शाह की सबसे बड़ी खूबी है कि वो एक भी रुपया किसी से नही लेते हैं। लोगों का कहना है कि जो भी इस दर पर आया है वो खाली हाथ नहीं जायेगा। हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं सूफी संत बाबा मुस्ताक शाह। बाबा ने बताया कि वैसे तो हर रोज लोग आते हैं पर शुक्रवार के दिन सुबह से ही आश्रम पर भीड़ लग जाती है।जो देर शाम तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है। हम गलत काम कराने वाले लोगों को भगा देते हैं। मेरा काम है लोगों की भलाई के लिए दुआ करना और ईश्वर द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलना।

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