रिपोर्ट सुदेश वर्मा



बागपत/ बडौत बरनावा में पावन पुनीत धरा पर परम पूज्य वात्सल्य वारिधि आचार्य सौरभ सागर जी का आगमन दिनांक 19 मार्च को हुआ । क्षेत्र पर पूर्व विद्यमान आर्यिका संघ आर्यिका सुज्ञानमती माताजी, आर्यिका दयामती माताजी एवं क्षुलिका अक्षत मति माताजी ने समस्त जैन समाज के साथ आचार्य श्री की भव्य अगवानी की । गुरु के आगमन से चारों ओर श्रावकों में उत्साह एवं आनंद की लहर दौड़ गई ।
इस पावन पुनीत अवसर पर आर्यिका सुज्ञानमती माताजी ने गुरुवर की वंदना हमें कहा सुबह की किरण पुष्प कली को खिलाया करती हैं और गुरु के चरण आध्यात्मिक कली खिलया करते हैं।। आगे उन्होंने कहा-
जहाॅं-जहाॅं संतों का आगमन होता है, जहाॅं-जहाॅं संतों का समागम होता है, वहाॅं-वहाॅं धर्म की,आध्यात्म की कली खिल जाया करती हैं। संत का जीवन सरिता समान होता है सरिता अर्थात नदी जहाॅं-जहाॅं जाती है वहाॅं-वहाॅं खुशहाली हो जाया करते हैं, उसी प्रकार जहाॅं-जहाॅं संत जाया करते हैं वहाॅं-वहाॅं खुशहाली हो जाया करती हैं। जिस प्रकार नदी अपने जल के द्वारा पृथ्वी का, वनस्पतियों का, पक्षियों का एवं मनुष्यों का निस्वार्थ भाव से कल्याण किया करती है, उसी प्रकार संत अपने आचरण के द्वारा, अपने ज्ञान के द्वारा निसार्थ भाव से जीवों का परम कल्याण किया करते हैं ।
इस मौके पर महामंत्री पंकज जैन, पावन जैन, संदीप जैन बॉबी, प्रवीण जैन अशोक जैन, सरधना जैन समाज बड़ोद जैन समाज दिल्ली समय जैन समाज आदि लोग थे।