ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान



कायमगंज/फर्रुखाबाद
कायमगंज के हमीरपुर लालबाग़ मे स्थित हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक मुर्शिदी व मौलाई सरकार हजरत बाबा जूहीशाह रहमतुल्लाह अलैह का 67वाँ सालाना उर्स शरीफ साधू संतो, कन्या भोज व भंडारे के साथ शुरू हुआ। पहली रात हर साल की तरह मिलाद व नातिया मुशायरा का आयोजन हुआ। जिस नातिया मुशायरे के मुख्य अतिथि शमसाबाद चेयरमैन पति नदीम अहमद फारूखी का सज्जादा नशीन मुशीर अहमद ने शाल उड़ाकर व स्मृति चिन्ह देकर उनका जोरदार स्वागत किया। वही नातिया मुशायरे मे शायरों ने शिरकत की जिसमे बरेली से आये अल्हाज इसरार नसीमी, कमालगंज से लतीफ़ साहब, विलग्राम हरदोई से हसनैन सहाब, कासगंज से मोहम्मद उमर, कायमगंज से सय्यद राशीद अली राशीद, अब्दुल बहाव बहार, जावेद सलमानी, राहत अली आदि शायरों ने बाबा जूहीशाह की दरगाह पर पहुंच नातिया मुशायरे अपनी नातों के माध्यम से महफिल मे चार चाँद लगा दिए। शायर राहत अली ने नात पड़ी, दूर हो दिल से रंजो अलम या नवी, आप कर दे जो चश्मे करम या नवी। शायर जावेद सलमानी ने नात पड़ी, दिल मे रखो ए मौमिनो चाहत रसूल की मैसर मे काम आएगी शफ़ायत रसूल की। वही शायर हसनैन बहाव ने पड़ा, मेरी तो जिंदगी है इसी इंतजार मे, सरकार को मै देखू किसी रोज़ ख्वाव मे। शायल सय्यद राशिद अली ने पड़ा, तवस्सुर मे देखू दयारे मुकद्दस, तकइयुल मे नाते नवी गुन गुनाऊ। शायर ताविश ने नात पड़ी, महफिले नात जब भी सजी है जहाँ मे, ऐसा लगता है जैसे वहां आप है। शायर लतीफ़ साहब ने नात पड़ी, गुलशन गुलशन शोर मचा है रव का दुलारा आया है जश्न मनाओ दुनिया वालों, रहमत वाला आया है। सभी शायरों ने अपनी अपनी नाते पढ़कर महफिल मे चार चाँद लगा दिए और खूब वाह वाही लूटी।
इस मौके पर अली, अजमेरी भाई, ज़मीर अहमद, सावे आलम, रफीक राईन, लाल मियाँ खा, अमीर हुसैन, अल्लाह नूर राईन, इस्लाम भाई, नोमान सिद्दीकी, शानू सिद्दीकी, बबलू सिद्दीकी, शाहिद भाई आदि लोग मुजूद रहे।



