रिपोर्ट आदिल अमान

कायमगंज/फर्रुखाबाद
बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने विधिक कदाचार के मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए 10 अधिवक्ताओं का पंजीकरण तीन वर्ष के लिए निलंबित कर दिया है। यह निर्णय परिषद ने बार एसोसिएशन अध्यक्ष राघव चन्द्र शुक्ला और सचिव शफीक खां द्वारा दाखिल परिवाद पर गुण-दोष के आधार पर लिया। निलंबित अधिवक्ताओं में अमित कुमार, गोपाल कृष्ण पाठक, प्रमोद कुमार गंगवार, अजीम हुसैन, नौशाद अली, सुधीर कुमार, दीपेन्द्र कुमार, विकास गंगवार, हरिपाल सिंह और रोमेश कुमार शामिल हैं। परिषद ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि निलंबन अवधि में ये अधिवक्ता किसी भी न्यायालय में विधि व्यवसाय नहीं करेंगे। आदेश का उल्लंघन करने पर अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत कठोर कार्रवाई होगी। मामले में यह आरोप सामने आया कि कुछ अधिवक्ताओं ने बार एसोसिएशन कायमगंज नामक ट्रस्ट का गठन कर अपने को निर्विरोध अध्यक्ष, सचिव व पदाधिकारी घोषित किया और ट्रस्ट शब्द छिपाकर फेसबुक, व्हाट्सएप पोस्ट व होर्डिंग्स के जरिए आमजन व न्यायालय में भ्रम फैलाया। यहां तक कि सिविल कोर्ट कायमगंज परिसर की दीवारों पर अपने पदनाम के बोर्ड भी लगाए गए। परिषद ने इसे अधिवक्ताओं द्वारा गंभीर विधिक व व्यवसायिक कदाचार मानते हुए कार्रवाई की है। साथ ही कार्यालय लिपिक को पत्रावली नियमानुसार अभिलेखागार में सुरक्षित करने का निर्देश भी दिया गया है। इस मामले में प्रतिवादी पक्ष के अमित शाक्य एडवोकेट और सुधीर कुमार एडवोकेट ने बताया फैसला एक
पक्षीय हुआ है। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेज की रसीद उनके पास है।जिसको वह बार काउंसलिंग का उत्तर प्रदेश के समक्ष प्रस्तुत होकर अपना पक्ष रखेंगे।