शिक्षक दिवस पर वक्ताओं ने की गोष्ठी, रखे अपने बिचार
* ईस्ट इंडिया टाइम्स रिपोर्ट आदिल अमान कायमगंज/
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फर्रुखाबाद शिक्षक दिवस पर नगर के सदवाड़ा में आयोजित संगोष्ठी में प्रोफेसर रामबाबू मिश्र रत्नेश कहा कि शिक्षा के उन्नयन के लिए कोई अंतिम व्यवहारिक निर्णय लेने के बजाय नित नए प्रयोग किये जा रहे हैं। शिक्षक नेता जेपी दुबे ने कहा कि ऊपरी मिली भगत से अमानक गैर मान्यता प्राप्त और केवल प्रवेश और परीक्षा का व्यवसाय करने वाले स्कूल कॉलेज का संजाल बिछा हुआ है। पूर्व प्रधानाचार्य अहिवरन सिंह गौर ने कहा कि हमारी परंपराओं पर आधुनिक भौतिकता हावी है और इसकी सबसे बड़ी शिकार शिक्षा है। प्रधानाचार्य शिवकांत शुक्ला ने सुझाव दिया कि शिक्षा में सुधार और संस्कार परंपरा की पुनर्स्थापना के लिए पूरे देश में सरस्वती शिशु मंदिर के पैटर्न पर विद्यालय खोले जाए। वीएस तिवारी ने कहा कि शिक्षा को लेकर शासन की दिशाहीनता, प्रशासनिक भ्रष्टाचार शिक्षकों का मात्र वेतन भोगी चरित्र ने शिक्षा की मिट्टी खराब कर दी। गीतकार पवन बाथम ने कहा कि आधुनिक शैक्षिक वातावरण में कबीर का यह दोहा कितना सटीक बैठता है जाका गुरु भी आंधरा चेला खरा निरंध।अंधै अंधा ठेलिया दोनों कूप परंत। युवा कवि अनुपम मिश्रा ने कहा एक समग्र विकास का अनुशासन है मंत्र। सम्यक शिक्षा के बिना बेमानी गणतंत्र। डॉ सुनीत सिद्धार्थ और सैयद राशिद अली राशिद ने भी अपने विचार रखे।
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